Why Spacecraft Land in Water: भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और उनके तीन साथियों की अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी हो गई है। ये सभी ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट से अमेरिका के कैलिफोर्निया तट के पास समुद्र में उतरे। जब अंतरिक्ष यान का पैराशूट खुला और वह पानी में ‘स्प्लैशडाउन’ हुआ, तो एक बार फिर लोगों के मन में सवाल उठा कि लैंडिंग हमेशा समुद्र में ही क्यों की जाती है और रात का समय ही क्यों चुना जाता है?
समुद्र में लैंडिंग क्यों होती है?
अंतरिक्ष यान को ज़मीन की बजाय पानी में उतारना ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। पानी एक तरह से प्राकृतिक गद्दे (कुशन) का काम करता है, जिससे यान को झटका कम लगता है और यात्री सुरक्षित रहते हैं। अगर यान ज़मीन पर ग़लत जगह उतर जाए तो जानमाल का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन समुद्र में ऐसा खतरा बहुत कम होता है क्योंकि वहां आबादी नहीं होती। इसलिए थोड़ी सी दिशा में चूक भी नुकसानदेह नहीं होती।स्प्लैशडाउन तकनीक से यान में भारी-भरकम लैंडिंग गियर लगाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। इससे यान हल्का होता है और पृथ्वी में दोबारा प्रवेश करते वक्त उसे कम नुकसान पहुंचता है।
NASA के कई ऐतिहासिक मिशन जैसे मर्करी, जेमिनी और अपोलो, इसी तकनीक से वापसी में सफल रहे हैं। हाल ही में सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की वापसी भी इसी तरह हुई थी।
रात को ही स्प्लैशडाउन क्यों?
अब सवाल उठता है कि जब दिन में भी लैंडिंग हो सकती है, तो ज़्यादातर मिशन की वापसी रात के समय ही क्यों होती है? दरअसल, रात में वायुमंडल स्थिर होता है और तापमान भी संतुलित रहता है। सूर्य की किरणें नहीं होने के कारण हीट टर्बुलेंस कम होता है, जिससे यान का रि-एंट्री (पृथ्वी में दोबारा प्रवेश) ज्यादा स्मूद और कंट्रोल में होता है। इसके अलावा, समुद्र में रात को हवाएं भी हल्की होती हैं, जिससे यान सीधे और स्थिर तरीके से उतरता है।
रात के समय यान की सही लोकेशन ट्रैक करने में भी तकनीक मदद करती है। नाइट विजन कैमरे, थर्मल सेंसर और अन्य उपकरण अंधेरे में भी यान की सटीक पहचान और रिकवरी संभव बनाते हैं।
भीड़ और सुरक्षा कारण भी शामिल
रात के समय लैंडिंग करने से एक और फायदा यह होता है कि आम लोग आसपास नहीं होते। इससे सुरक्षा और गोपनीयता बनी रहती है और रिकवरी टीम को बिना रुकावट अपना काम करने में मदद मिलती है।
शुभांशु शुक्ला और उनके साथियों की सुरक्षित वापसी के पीछे गहराई से सोची-समझी वैज्ञानिक रणनीति और तकनीकी योजनाएं हैं। चाहे पानी में उतरना हो या रात में समय चुनना—हर फैसले के पीछे अंतरिक्ष यात्रा को ज्यादा सुरक्षित और सफल बनाने का मकसद होता है।