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सब्जीवाले को मिला 29 लाख का जीएसटी नोटिस! छोटे दुकानदार को कैसे लगा बड़ा झटका ?

ताज़ी सब्जियाँ जीएसटी के तहत नहीं आतीं, अगर कोई सब्जी विक्रेता उन्हें सीधे किसानों से खरीदता है और बिना किसी तरह की प्रोसेसिंग या पैकेजिंग किए ताज़ा ही बेचता है, तो उस पर जीएसटी लागू नहीं होता।

Gulshan by Gulshan
July 21, 2025
in TOP NEWS
GST Notice
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GST Notice : डिजिटल इंडिया के दौर में जहां छोटे दुकानदार भी UPI और ऑनलाइन भुगतान को अपनाकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं कर्नाटक के एक सब्जी बेचने वाले को यह आधुनिकता भारी पड़ गई। करीब चार साल से सब्जी बेच रहे शंकरगौड़ा को 29 लाख रुपये का जीएसटी नोटिस मिला है, जिसने उनकी नींद उड़ा दी है।

क्या है पूरा मामला?

हावेरी के म्युनिसिपल हाई स्कूल ग्राउंड्स के पास शंकरगौड़ा नाम के दुकानदार की एक छोटी सी सब्जी की दुकान है। वे रोज़ाना ताज़ा सब्जियां सीधे किसानों से खरीदकर ग्राहकों को बेचते हैं — न कोई प्रोसेसिंग, न पैकेजिंग। उनकी अधिकतर बिक्री UPI और डिजिटल वॉलेट्स के ज़रिए होती है।

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लेकिन इसी डिजिटल लेन-देन ने उन्हें जीएसटी अधिकारियों के रडार पर ला खड़ा किया। पिछले चार सालों में उनके खाते से करीब 1.63 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ, जिसके आधार पर उन्हें 29 लाख रुपये जीएसटी भरने का नोटिस थमा दिया गया।

क्या सब्जियों पर लगता है जीएसटी?

नहीं। क्लियरटैक्स और सरकारी नियमों के अनुसार, ताजी और बिना प्रोसेस की गई सब्जियों पर कोई जीएसटी नहीं लगता, बशर्ते वह किसान या सीधे उनसे खरीदने वाला विक्रेता ही उन्हें बेचे।

शंकरगौड़ा भी इसी श्रेणी में आते हैं। वे किसी भी तरह की प्रोसेसिंग या पैकेजिंग नहीं करते, सिर्फ सीधे किसानों से खरीदकर उन्हें ताजा ही बेचते हैं। फिर भी उन्हें नोटिस मिलने से सवाल उठने लगे हैं — क्या केवल डिजिटल भुगतान के चलते उन्हें ‘हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन’ के जाल में फंसा दिया गया?

टर्नओवर बना सिरदर्द

कर्नाटक जीएसटी विभाग के अनुसार, जिन व्यापारियों का सालाना टर्नओवर तय सीमा (20 लाख रुपये से अधिक) पार करता है, उन्हें जीएसटी पंजीकरण और टैक्स जमा करने की आवश्यकता होती है। चूंकि UPI के माध्यम से हुए कुल ट्रांजैक्शन 1.63 करोड़ रुपये तक पहुंच गए, सिस्टम ने उन्हें एक ‘हाई-वॉल्यूम ट्रेडर’ मान लिया — चाहे उनका असल मुनाफा कुछ भी क्यों न हो।

आम दुकानदारों के लिए क्या सीख है?

  • डिजिटल भुगतान करते वक्त सिर्फ अमाउंट नहीं, ट्रांजैक्शन की प्रकृति भी साफ रखें।

  • अगर आपका काम जीएसटी-फ्री श्रेणी में आता है, तो जरूरी दस्तावेज़ और प्रमाण संजोकर रखें।

  • टर्नओवर और मुनाफे में अंतर होता है — लेकिन कई बार जांच एजेंसियां सिर्फ ट्रांजैक्शन वैल्यू देखकर आगे बढ़ जाती हैं।

यह भी पढ़ें : बांग्लादेश में स्कूल के पास एयरफोर्स का ट्रेनिंग…

शंकरगौड़ा का कहना है कि उन्होंने हमेशा ईमानदारी से काम किया, इनकम टैक्स रिटर्न भी भरे, और डिजिटल पेमेंट को अपनाया। लेकिन अब उनके सामने 29 लाख रुपये की अदायगी की जो चुनौती है, वह उनके लिए न तो संभव है और न ही न्यायसंगत।

Tags: GST Notice
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