Jagdeep Dhankhar Resigns as Vice President: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखते हुए संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से अपने पद से त्यागपत्र दिया। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि अब वह स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देना चाहते हैं। धनखड़ ने राष्ट्रपति को धन्यवाद देते हुए उनके साथ अपने कार्यकाल के दौरान रहे सौहार्दपूर्ण संबंधों का भी जिक्र किया और उसे अपने जीवन का एक खास अनुभव बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री और पूरी मंत्रिपरिषद को भी उनके सहयोग और समर्थन के लिए हार्दिक आभार जताया।
सांसदों के स्नेह को बताया यादगार
धनखड़ ने अपने पत्र में यह भी लिखा कि उन्हें सांसदों से जो विश्वास और अपनापन मिला, वह उनकी यादों में हमेशा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि देश के लोकतांत्रिक ढांचे में उपराष्ट्रपति के तौर पर उन्हें जो अनुभव और सीख मिली, वो उनके लिए बहुत कीमती है। उन्होंने इस बात पर गर्व जताया कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारत की आर्थिक तरक्की और तेज़ विकास को नज़दीक से देखा और उसका हिस्सा बने।
देश की सेवा को बताया सम्मान
धनखड़ ने कहा कि भारत के इतिहास के इस परिवर्तनकारी दौर में देश की सेवा करना उनके लिए एक सच्चा सम्मान रहा है। अपने पद से विदाई लेते हुए उन्होंने भारत के उज्ज्वल भविष्य में अटूट भरोसा जताया और देश की उपलब्धियों पर गर्व महसूस किया।
जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर
जगदीप धनखड़ ने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीता था।
1990 में वे चंद्रशेखर सरकार में संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने।
1991 में उन्होंने कांग्रेस जॉइन की और अजमेर से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए।
1993 से 1998 तक वे राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे।
2003 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और 2008 में पार्टी की प्रचार समिति में अहम भूमिका निभाई।
निजी जीवन और शिक्षा
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू में हुआ था।
उन्होंने चित्तौड़गढ़ सैनिक स्कूल से पढ़ाई की और फिर राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीएससी और एलएलबी की डिग्री ली।
वे पेशे से एक वरिष्ठ वकील रहे हैं और राजस्थान हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
1979 में उन्होंने सुदेश धनखड़ से विवाह किया और उनकी एक बेटी है।