Babita’s Journey: From Films to Family:बबीता का जन्म एक ऐसे घर में हुआ था, जहां फिल्मों की झलक बचपन से ही थी। उनके पिता हरि शिवदासानी हिंदी फिल्मों में कैरेक्टर रोल करते थे। यानि बबीता का फिल्मों से नाता शादी से पहले ही जुड़ गया था। बहुत से लोगों को लगता है कि वो शादी के बाद ही फिल्मी दुनिया में आईं, लेकिन असल में वो शुरू से ही इस इंडस्ट्री का हिस्सा थीं।
करियर के पीक पर हुआ प्यार
बबीता जब अपने करियर के ऊंचे मुकाम पर थीं, तभी उनकी मुलाकात रणधीर कपूर से हुई और धीरे-धीरे ये दोस्ती प्यार में बदल गई। शादी के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली और परिवार की जिम्मेदारियां संभाल लीं। 1971 के बाद उन्होंने एक्टिंग छोड़ दी थी।
कपूर खानदान के नियमों को तोड़ा
कपूर परिवार का एक पुराना नियम था कि इस घर की महिलाएं फिल्मों में काम नहीं करेंगी। लेकिन बबीता ने इस सोच को चुनौती दी। उन्होंने न सिर्फ फिल्मों में वापसी की, बल्कि अपनी बेटियों करिश्मा और करीना को भी फिल्मों में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।
पति से अलग होकर बेटियों को पाला
शादी के कुछ साल बाद बबीता और रणधीर कपूर अलग हो गए। हालांकि दोनों ने कभी तलाक नहीं लिया, लेकिन बबीता ने अकेले अपनी दोनों बेटियों की परवरिश की। उन्होंने करिश्मा और करीना को बचपन से ही सिखाया कि मेहनत और आत्मविश्वास से सब कुछ पाया जा सकता है। पर्दे के पीछे रहकर उन्होंने करिश्मा के करियर को गढ़ा और करीना को भी हौसला दिया।
अब चकाचौंध से दूर हैं बबीता
आज जब उनकी बेटियां बॉलीवुड की सफल एक्ट्रेसेज़ बन चुकी हैं, बबीता खुद लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करती हैं। वो बहुत कम मौकों पर मीडिया के सामने आती हैं और अक्सर प्राइवेट लाइफ को तवज्जो देती हैं। इवेंट्स में भी वो कैमरे से बचती नजर आती हैं।
बबीता की कहानी सिर्फ एक एक्ट्रेस की नहीं, एक मां की भी है जिसने परिवार, प्यार और अपने आत्मसम्मान के बीच संतुलन बैठाया। उन्होंने साबित किया कि सच्ची हिम्मत पर्दे के पीछे भी नजर आती है।