नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। गृहमंत्री अमित शाह को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है तो पीएम नरेंद्र मोदी को 21वीं सदी का महानायक। दोनों के फैसले हैरान कर देने वाले होते हैं। अब देश की नजरें एकबार फिर दोनों पर टिकी हैं। अब 140 करोड़ जनता देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा, इसका इंतजार कर रही है। सोशल मीडिया से लेकर अखबार और टीवी में कई नाम सामने आ रहे हैं। ऐसे में हम आपको बताते हैं कि इस रेस में कौन नेता पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस की पहली पसंद है। पीएम नरेंद्र मोदी और आरएसएस ने किसके नाम पर अपनी मुहर लगाई है। तो चलिए पहले जानते हैं कि किस वजह से उपराष्ट्रपति के चुनाव की डुगडुबी बजी और कब वोटिंग होगी और विपक्ष की तरफ से कौन नेता एनडीए कैंडीडेट के खिलाफ चुनाव के मैदान में होगा।
उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की कहानी का आगाज 21 जुलाई की रात को हो गया था। जब जगदीप धनखड़ ने अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था। धनकड़ के रिजाइन करने के बाद चुनाव आयोग हरकत में आया और उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गया। बताया जा रहा है कि एक माह के अंदर चुनाव हो जाएगा और अगस्त में देश को अगला उपराष्ट्रपति मिल जाएगी। चुनाव की रणभेदी बजते ही बीजेपी फुल एक्शन में आते हुए एनडीए के कैंडीडेट के नाम को लेकर मंथन शुरू कर दिया। सूत्र बताते हैं कि नीतीश कुमार के नाम पर भी बीजेपी के अंदर चर्चा हुई, लेकिन सहमति नहीं बनी। सूत्रों की मानें तो बीजेपी किसी मुस्लिम चेहरे पर दांव लगा सकती है। इसमें दो नाम सबसे ऊपर बताते जा रहे हैं। एक है केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का है तो दूसरा नाम पूर्व केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का।
आरिफ मोहम्मद खान और मुख्तार अब्बास नकवी पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी बताए जाते हैं और आरएसएस के साथ भी इनके अच्छे संबंध हैं। उपराष्ट्रपति की रेस में आरिफ मोहम्मद खान का नाम भी बताया जा रहा है। लंबे समय से सक्रिय राजनीतिक जीवन से अलग रहने के बाद मोदी सरकार ने उन्हें केरल का राज्यपाल बनाया था और फिर बिहार का राज्यपाल बनाया। शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के लिए संसद से कानून बनाने के खिलाफ राजीव गांधी मंत्रीमंडल से इस्तीफे के साथ मुस्लिम कट्टरपंथ और तुष्टीकरण के खिलाफ वे अपने रूख पर लगातार कायम रहे। तीन तलाक से लेकर वक्फ कानून में संशोधन तक में आरिफ मोहम्मद खान ने मोदी सरकार के फैसले का तर्कों के साथ बचाव किया। ऐसे में चर्चा है कि बीजेपी उन्हें देश की तीसरी सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठा सकती है।
केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का कानपुर से बेहद करीबी नाता है। कहा जा सकता है कि कानपुर की जनता से सीधे तौर पर उनका उनकी पत्नी का जुड़ाव रहा है। आरिफ मोहम्मद खान कानपुर लोकसभा से 1980 में सांसद बने। उनका ससुराल भी कानपुर लोकसभा में आती था। इस नाते कानपुर के लोग उन्हें बेहद सम्मान देते थे तो वहीं पत्नी कानपुर की बिटिया थी जिसके चलते आर्य नगर की सीट पर जनता दल की टिकट से परचम लहराने में रेशमा आरिफ कामयाब रही थी। आरिफ मोहम्मद खान कई साल कांग्रेस में रहे। लेकिन शहबानों केस के कारण उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया और बीजेपी की सदस्यता ले ली। आरिफ मोहम्मद खान की छवि एक इमानदार नेता के तौर पर होती है। वह खुलकर बोलते हैं और कट्टरपंथियों को अक्सर निशाने पर लेते रहते हैं। जानकार बताते हैं कि बीजेपी आरिफ मोहम्मद खान को उपराष्ट्रपति बना सकती है।
आरिफ मोहम्मद खान के बाद दूसरा नाम मुख्तार अब्बास नकवी का रेस में बताया जा रहा है। नकवी बीजेपी के कद्दावर नेता हैं। वह मोदी सरकार में मंत्री भी रहे। अब ऐसी चर्चा है कि मुख्तार अब्बास नकवी को बीजेपी उपराष्ट्रपति बना सकती है। नकवी का यूपी से गहरा नाता है। 2027 में यूपी में चुनाव होने हैं। ऐसे में मुख्तार पर बीजेपी दांव लगाकर बड़ा सियासी दांव चल सकती है। मुख्तार अब्बास नकवी का रामपुर से गहरा नाता रहा है। साल 1998 में वह रामपुर से लोक सभा चुनाव लड़े और जीत गए। इस जीत के साथ ही उन्होंने देश की राजनीति में रिकार्ड कायम कर दिया। उनसे पहले कोई भी मुस्लिम नेता बीजेपी के टिकट पर लोकसभा नहीं पहुंच सका था। बीजेपी ने भी इसे बड़ी उपलब्धि माना और उन्हें केंद्र सरकार में मंत्री बना दिया। तब से ही नकवी रामपुर से जुड़े रहे हैं। उनका आवास भी यहीं पर है और वोट भी रामपुर में डालते हैं।