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Raksha Bandhan 2025: भद्रा और राहुकाल में राखी बांधना क्यों माना जाता है अशुभ जानिए इसके पीछे की क्या है धार्मिक वजह

रक्षाबंधन 2025 में राखी बांधते समय भद्रा और राहुकाल जैसे अशुभ समय से बचना जरूरी है। ये काल शुभ कार्यों के लिए वर्जित माने जाते हैं। सही मुहूर्त में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में सुख, समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
August 1, 2025
in धर्म
Rakhi Muhurat 20
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Rakhi Muhurat 2025:रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक है, जिसे पूरे देश में बड़े ही उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबे जीवन, सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जो इस साल अगस्त 2025 में आएगा।

राखी बांधते समय क्यों ज़रूरी है मुहूर्त का ध्यान?

राखी बांधना एक शुभ कार्य माना जाता है, लेकिन इसे करने के लिए सही समय का चुनाव अत्यंत आवश्यक होता है। खासकर भद्रा काल और राहुकाल जैसे अशुभ समय में राखी बांधना वर्जित माना गया है। ज्योतिष के अनुसार, इन कालों में कोई भी मांगलिक या शुभ कार्य नहीं करना चाहिए, अन्यथा उसका परिणाम विपरीत हो सकता है।

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क्या है भद्रा काल और क्यों होता है अशुभ?

भद्रा काल पंचांग के करण तत्व का हिस्सा होता है, जिसे विष्टि करण भी कहा जाता है। यह तीनों लोकों – स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल – में भ्रमण करता है। जब भद्रा पृथ्वी लोक में होती है, तो इसे अत्यंत अशुभ माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भद्रा शनिदेव की बहन हैं और उन्हें ब्रह्मा जी द्वारा श्राप प्राप्त है कि उनके समय में किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक फल मिलेगा। यही कारण है कि रक्षाबंधन जैसे पवित्र पर्व पर भी भद्रा काल के दौरान राखी बांधने से परहेज किया जाता है।

राहुकाल: नकारात्मक ऊर्जा का समय

राहुकाल हर दिन लगभग डेढ़ घंटे का वह समय होता है जब राहु ग्रह का प्रभाव अत्यधिक होता है। इसे अशुभ माना जाता है और इस समय कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यता है कि राहुकाल में राखी बांधने से भाई-बहन के रिश्ते में दरार आ सकती है या रिश्तों में गलतफहमियां उत्पन्न हो सकती हैं।

धार्मिक संदेश और परंपरा की अहमियत

भद्रा और राहुकाल से जुड़ी मान्यताएं हमें यह सिखाती हैं कि किसी भी शुभ कार्य के लिए उपयुक्त समय का चयन कितना जरूरी होता है। रक्षाबंधन केवल एक रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम और समर्पण का त्योहार है। इसलिए यह आवश्यक है कि राखी शुभ मुहूर्त में ही बांधी जाए ताकि रिश्तों में सुख, सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।

Disclaimer: यह लेख धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय परंपराओं पर आधारित है। Newd1india इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Tags: bhadra and rahukaRakhi Muhurat 2025
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