नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। नेपालियों की क्रांति रंग लाई। नेपाली सूरमाओं की गदर ने इतिहास बदल दिया। यूथ बिग्रेड ने भ्रष्टाचार और करप्ट नेताओं के खिलाफ ऐसा हल्लाबोला, जिससे सफेदपोश घर पर दुबकने को मजबूर हो गए। काम नहीं आई पीएम ओली की गाली। सरकार पर भारी पड़ी यूथ पर बोली। महज 36 घंटे के विद्रोह के बाद सरकार हिल गई। सेना ने भी पैर पीछे खींच लिए और आखिर में पीएम ओली को रिजाइन करना पड़ा। यूथ ने सरकार का तख्तापलट कर दिया। नई सरकार की बुनियाद का शंखनाद कर दिया। करीब दो दिन तक चली बैठक के बाद आखिरकार नेपालियों को कार्यवाहक पीएम मिल गई। शुक्रवार को राष्ट्रपति सुशीला कार्की नेपाल की कार्यवाहक पीएम पद की शपथ दिलाएंगे।
पहले नेपाल में सरकार और ब्यूरोकेसी ने जमकर भ्रष्टाचार किया। नेपाली यूथ को गरीब में जीने को मजबूर किया। नेताओं ने नेपालियों को लूटा और अपनी तिजोरी भरी। जिसके खिलाफ नेपाल का यूथ सड़क पर उतरा। सोशल मीडिया के जरिए नेताओं की पोल खोलने शुरू की। सरकार ने तत्काल प्रभाव से सोशल मीडिया पर प्रतिबंद लगा दिया। जिसके बाद नेपाल की सड़कों पर ऐसा जनसैलाब उमड़ा, जिसे देख सफेदपोशों के पसीने छूट गए। महज 36 घंटे के यलगार के बाद ओली सरकार बेदखल हो गई। नेपाल में यूथ क्रांति की प्रचंड जीत हुई। ओली के जानें के बाद नई सरकार के गठन को लेकर दो दिनों तक बैठकों का दौर चला। कई नाम पीएम की रेस में आए। आखिर में सुशीला कार्की के नाम पर सहमति बन गई। युवाओं की मांग पर आर्मी चीफ ने भी अपनी रजामंदी दे दी। शुक्रवार की रात करीब 8 बजकर 45 मिनट पर सुशीला कार्की पीएम पद की शपथ लेंगी।
दरअसल, नेपाल की अंतरिम सरकार के गठन पर आम सहमति बनाने के लिए नेपाल की राष्ट्रपति, सुशीला कार्की और सेना प्रमुख के बीच काठमांडू में आधी रात को अहम बैठक हुई। बैठक में GEN Z के लोग भी शामिल हुए। बैठक के दौरान कई नामों पर चर्चा हुई। आखिर में सुशीला कार्की के नाम पर सहमति बन गई। सुशीला कार्की का जन्म नेपाल के रूरल इलाके में हुआ था, उनके पिता खेती का काम करते थे। पूर्व सीजेआई कार्की ने महेंद्र मोरंग कैंपस से बीए किया है और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एमए (पॉलिटिकल साइंस) की डिग्री ली है। कुछ वक्त तक टीचिंग करने के बाद सुशीला कार्की ने 1980 में लॉ की पढ़ाई शुरू की। सुशीला कार्की ने वकालत के पेशे में कदम रखा और मानवाधिकार के मामलों को उठाने का काम किया। साल 2009 में कार्की को नेपाल सुप्रीम कोर्ट में एडहॉक जज नियुक्त किया गया, जिसके बाद 2010 में वो परमानेंट जज बनीं। सुशीला कार्की 2016 में नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं, जिसके बाद 2017 में उन्हें पद से हटाने के लिए उनके खिलाफ महाभियोग लाया गया।
नेपाल में संविधान के मुताबिक पूर्व मुख्य न्यायाधीश को कोई भी राजनीतिक पद लेने की अनुमति नहीं है। हालांकि, संविधान में अनिवार्यता के सिद्धांत के मुताबिक, राष्ट्रपति को या तो उन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए संविधान के उस विशेष अनुच्छेद को निलंबित करना होता है या देश की सुरक्षा के लिए एक विशेष प्रावधान लाना होता है। नेपाल के संविधान में अनिवार्यता का सिद्धांत एक कानूनी सिद्धांत है. इसके तहत कुछ ऐसे कार्यों को, जो असंवैधानिक या गैरकानूनी हैं, उचित ठहराने की अनुमति है जो कि देश की सुरक्षा, कानून-व्यवस्था बनाए रखने और इमरजेंसी हालात या संकट के समय में संवैधानिक व्यवस्था की रक्षा के लिए जरूरी हों। राष्ट्रपति और सेना प्रमुख ने नेपाल के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश प्रकाश मान सिंह राउत से भी इस बारे में सलाह ली। हालांकि अब यह साफ हो गया है कि सुशीला कार्की ही नेपाल की अंतिम प्रधानमंत्री होंगी. उनके नाम पर मुहर लग चुकी है। बताया जा रहा है कि नई सरकार में कई युवाओं को मौका मिल सकता है।