Encounter in Ghaziabad: दिल्ली और उत्तर प्रदेश (यूपी) एसटीएफ के संयुक्त अभियान में दो दिन पहले गाजियाबाद में हुई मुठभेड़ में मारे गए बदमाश रवींद्र और अरुण के शव पोस्टमार्टम के बाद उनके परिजनों को सौंप दिए गए। रवींद्र हरियाणा के रोहतक का रहने वाला था, जबकि अरुण मूल रूप से यूपी के बागपत जिले के शिकूपुर गांव का निवासी था। फिलहाल उसका परिवार सोनीपत के मयूर विहार में रह रहा था। बेटे की मौत की खबर मिलते ही परिवार में मातम छा गया। मोहल्ले के लोग भी इस घटना से हैरान हैं।
बेटे की मौत से टूटा परिवार
अरुण की मौत से उसके माता-पिता बुरी तरह टूट चुके हैं। मां सविता देवी बेटे का जिक्र करते हुए बार-बार बेहोश हो जाती हैं। उनका कहना है कि उन्हें कभी अंदाजा ही नहीं था कि बेटा अपराध की राह पर चल पड़ा है। वह आखिरी बार फोन पर बात करते समय कह रहा था कि हरिद्वार जा रहा है। सविता देवी का मानना है कि उनका बेटा अपराधी हो ही नहीं सकता।
पिता का दर्द और सफाई
अरुण के पिता राजेंद्र ने रोते हुए बताया कि उनका बेटा लंबे समय से शुगर की बीमारी से जूझ रहा था और इलाज चल रहा था। परिवार का खर्चा डेयरी से चलता है। मोहल्ले के लोगों से पूछें तो कोई भी उनके बेटे के खिलाफ आपराधिक छवि की गवाही नहीं देगा। राजेंद्र का कहना है कि अरुण को गलत आरोपों में फंसाया गया और अब उसकी मौत से पूरा परिवार बर्बाद हो गया है।
पढ़ाई और पड़ोसियों की बातें
अरुण ने 12वीं तक पढ़ाई की थी। पड़ोसियों का कहना है कि कुछ दिन पहले ही वह घर से निकला था। किसी को यह अंदाजा नहीं था कि वह ऐसे मामलों में शामिल होगा। पुलिस का कहना है कि 12 सितंबर को बरेली में फिल्म अभिनेत्री दिशा पाटनी के घर पर हुई फायरिंग में अरुण और रवींद्र का नाम सामने आया था। इसी वजह से दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम रखा गया था।
पुलिस का दावा और परिवार की बेबसी
पुलिस जहां अरुण को अपराधी मान रही है, वहीं परिवार इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रहा। परिजनों का कहना है कि अरुण के जीवन में अपराध से जुड़ी कोई भी गतिविधि कभी नजर नहीं आई। बेटे की अचानक मौत ने परिवार की जिंदगी उजाड़ दी है। अब घर में सिर्फ मातम और आंसुओं का माहौल है।