H-1B Visa:अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा फैसला लिया है। अब H-1B वीज़ा के लिए आवेदन करने पर करीब 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की नई फीस देनी होगी। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने इसकी आधिकारिक पुष्टि की है। माना जा रहा है कि यह कदम ट्रंप की कड़ी इमिग्रेशन पॉलिसी का हिस्सा है।
भारतीय प्रोफेशनल्स पर सीधा असर
H-1B वीज़ा भारतीय टेक और आईटी प्रोफेशनल्स के लिए बेहद अहम माना जाता है। हर साल हजारों भारतीय इस वीज़ा के जरिए अमेरिका जाकर काम करते हैं। लेकिन अब इतनी भारी फीस हर किसी के बस की बात नहीं होगी। खासकर नए और फ्रेशर्स उम्मीदवारों के लिए यह लगभग नामुमकिन जैसा हो जाएगा।
अब बदलेगा वीज़ा चयन का तरीका
अब तक H-1B वीज़ा का अलॉटमेंट लॉटरी सिस्टम से होता था। लेकिन ट्रंप प्रशासन इसे बदलकर सैलरी आधारित चयन प्रक्रिया (wage-based selection) लागू करने की योजना बना रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि जिनकी सैलरी ज्यादा होगी उन्हें पहले मौका मिलेगा, और नए उम्मीदवार या कम अनुभव वाले पीछे छूट जाएंगे
आंकड़े बताते हैं असर
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार,
साल 2023 में भारतीयों को 1,91,000 H-1B वीज़ा मिले थे।
2024 में यह संख्या बढ़कर 2,07,000 हो गई।
इनमें से अधिकतर आईटी, सॉफ्टवेयर और इंजीनियरिंग क्षेत्र के प्रोफेशनल्स थे।
वर्तमान में हर साल 85,000 H-1B वीज़ा दिए जाते हैं। इनमें से करीब 70% भारतीयों को मिलते हैं। लेकिन नए नियमों के बाद भारतीयों के लिए वीज़ा पाना बेहद मुश्किल हो सकता है।
‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा पर ट्रंप का भरोसा
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि नया ‘गोल्ड कार्ड’ वीज़ा प्रोग्राम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
इस प्रोग्राम से अरबों डॉलर जुटने की उम्मीद है।
अमेरिकी नागरिकों पर टैक्स का बोझ घटेगा।
केवल टॉप लेवल के असाधारण लोगों को ही वीज़ा मिलेगा।
अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि पहले वीज़ा ऐसे लोगों को भी मिल जाते थे जो अमेरिकी नौकरियां छीनते थे। लेकिन अब केवल वही चुने जाएंगे जो अमेरिका में बिज़नेस बनाएंगे और अमेरिकियों के लिए नई नौकरियां पैदा करेंगे।
ट्रंप का यह कदम भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए बड़ा झटका है। भारी फीस और नए नियमों की वजह से अब अमेरिका में नौकरी पाना आसान नहीं होगा। H-1B वीज़ा का सपना अब और महंगा और मुश्किल बन गया है।