Agni-Prime Missile : भारत ने मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मध्यम दूरी की अत्याधुनिक अग्नि-प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया और इसमें विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए रेल-आधारित मोबाइल लॉन्चर का इस्तेमाल किया गया।
पहली बार रेल लॉन्चर से हुआ अग्नि-प्राइम का परीक्षण
इस परीक्षण की सबसे खास बात यह रही कि पहली बार किसी मिसाइल को ‘कैनिस्टराइज्ड’ रेल मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया गया। इस तकनीक की मदद से अब भारत उन गिने-चुने देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिनके पास चलते-फिरते रेल प्लेटफॉर्म से मिसाइल दागने की क्षमता है।
अग्नि प्राइम सबसे आधुनिक मिसाइल
साबित हुई एक गेम चेंजर तकनीक
रेल लॉन्चर के इस्तेमाल ने भारत की रणनीतिक क्षमताओं में क्रांतिकारी बदलाव लाया है। इसके प्रमुख फायदे हैं:
कहीं से भी लॉन्च की क्षमता: यह सिस्टम देश के किसी भी हिस्से में रेल नेटवर्क के ज़रिए पहुंचाया जा सकता है, जिससे मिसाइल को छुपाकर ले जाना आसान हो जाता है।
कम समय में तैनाती और लॉन्च: यह सिस्टम किसी भी लोकेशन पर रुकते ही तुरंत मिसाइल दागने में सक्षम है।
कम विजिबिलिटी में भी सक्षम: धुंध, रात या खराब मौसम में भी यह प्रभावी ढंग से काम करता है।
क्रॉस-कंट्री मोबिलिटी: पहाड़ों, जंगलों और कठिन इलाकों में भी इसे आसानी से ले जाया जा सकता है।
इस तकनीक से भारत अब ऐसी स्थिति में आ गया है कि वह किसी भी स्थान और किसी भी समय दुश्मन को करारा जवाब दे सकता है। इस परीक्षण को DRDO, भारतीय सशस्त्र बलों और SFC के संयुक्त प्रयासों से अंजाम दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफलता पर बधाई दी और कहा कि यह परीक्षण भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को और मजबूती देता है। अग्नि-प्राइम, अग्नि श्रृंखला की छठी मिसाइल है, जिसे सेना में शामिल करने की दिशा में यह परीक्षण बेहद अहम कदम माना जा रहा है।
क्यों खास है अग्नि-प्राइम का यह परीक्षण?
रणनीतिक बढ़त: यह परीक्षण भारत की परमाणु नीति और रक्षा रणनीति को और मज़बूती देता है।
दुश्मन को चौंकाने की क्षमता: चलते हुए रेल प्लेटफॉर्म से लॉन्च करना दुश्मन की निगरानी और जवाबी कार्रवाई को मुश्किल बना देता है।
भविष्य की तैयारियों में सहायक: यह तकनीक भविष्य में और भी अधिक आधुनिक और मोबाइल लॉन्च प्लेटफॉर्म विकसित करने की दिशा में मील का पत्थर है।