Navratri 2025: Ashtami Kanya Pujan Significance:नवरात्रि शक्ति की आराधना का पर्व है। नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं। इसमें कन्या पूजन को सबसे प्रमुख अनुष्ठान माना गया है। मान्यता है कि छोटी कन्याएं मां दुर्गा का जीवंत स्वरूप हैं। उनकी पूजा और सम्मान से परिवार को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और मंगल का आशीर्वाद मिलता है।
कब है महाअष्टमी 2025
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि इस वर्ष 30 सितंबर, मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन को “महाअष्टमी” कहा जाता है। मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना इसी दिन की जाती है। महागौरी को शांति, पवित्रता और करुणा की देवी माना जाता है।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 5:00 बजे से 6:12 बजे तक
कन्या पूजन मुहूर्त: सुबह 10:40 बजे से दोपहर 12:15 बजे तक
इन समयों पर पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
आमंत्रण: 2 से 10 वर्ष तक की कन्याओं को आमंत्रित करें। परंपरा है कि उनके साथ एक छोटे बालक को भी बुलाया जाए, जिसे भैरव का स्वरूप माना जाता है।
चरण पूजन: सबसे पहले कन्याओं के चरण धोकर उनका स्वागत करें।
तिलक और आसन: उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाकर कुमकुम और अक्षत से तिलक करें।
भोजन कराना: कन्याओं को हलवा, पूड़ी, काला चना, खीर आदि का भोजन प्रेमपूर्वक कराएं।
सम्मान और विदाई: पूजा के बाद उन्हें दक्षिणा और उपहार देकर सम्मानपूर्वक विदा करें।
अष्टमी तिथि का महत्व
महाअष्टमी को नवरात्रि का मुख्य दिन माना गया है। इस दिन कन्या पूजन केवल धार्मिक परंपरा ही नहीं, बल्कि नारी शक्ति और मासूम बाल्य स्वरूप का सम्मान भी है। श्रद्धा से किए गए कन्या पूजन से भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और मंगल का संचार होता है।
Disclaimer:यह लेख केवल धार्मिक जानकारी के उद्देश्य से प्रस्तुत है। इसमें दी गई जानकारी का सटीकता News1India कोई दावा नहीं करता। धार्मिक मान्यता और आस्था से संबंधित निर्णय पाठक स्वयं लें।