Delhi High court ने कहा है कि अगर कोई सास-ससुर या तीसरा व्यक्ति पति-पत्नी के बीच झगड़ा कराता है और इसके कारण विवाह खत्म होने की स्थिति बनती है, तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर उस व्यक्ति को पीड़ित पक्ष को मुआवजा देना होगा। यह निर्णय वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप को लेकर नए तरीके तय कर सकता है।
कोर्ट के अनुसार, अगर कोई तीसरा पक्ष पति-पत्नी के प्यार या स्नेह को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, तो प्रभावित पति या पत्नी उनके खिलाफ स्नेह-विमुखता (Alienation of Affection AOA) का मामला दर्ज कर सकते हैं। इस फैसले से पति-पत्नी अब किसी तीसरे व्यक्ति से मुआवजा मांग सकते हैं।
सास के खिलाफ केस का अधिकार
अब एक महिला अपनी सास के खिलाफ भी केस दर्ज करा सकती है। अगर सास अपने बेटे और बहू के बीच झगड़ा करवाने में दोषी पाई जाती है, तो उसे मुआवजा देना पड़ेगा। वकील ने यह भी बताया कि यह नियम ससुर या किसी अन्य परिवारिक सदस्य पर भी लागू हो सकता है, जो पति-पत्नी के बीच झगड़ा करवाता है।
सास-ससुर और परिवार को चेतावनी
महिला वकील ने सास-ससुर और परिवार के अन्य सदस्यों को सावधान रहने की सलाह दी है। जो लोग बेटे-बहू या बेटी-दामाद के बीच झगड़ा कराते हैं, उनके खिलाफ दीवानी मुकदमा दायर किया जा सकता है। वकील ने कहा कि यह नियम विदेशों में सामान्य है, लेकिन अब भारत में भी अदालतें इसे मान्यता दे रही हैं।
मुकदमे के लिए जरूरी बातें
वकील ने बताया कि केस दर्ज करने के लिए कुछ प्रमुख पहलू साबित करना जरूरी हैं।
जानबूझकर हस्तक्षेप, आपको यह दिखाना होगा कि सास या तीसरे व्यक्ति ने इच्छा पूर्वक वैवाहिक संबंध को नष्ट करने का प्रयास किया।
कार्रवाइयों और विवाह टूटने का संबंध,आप स्पष्ट रूप से दिखाएं कि उनके कार्यों और विवाह टूटने के बीच साफ़ संबंध है।
पूर्व में प्यार मौजूद होना, हस्तक्षेप से पहले पति-पत्नी के बीच सच्चा प्यार और स्नेह होना चाहिए।
सामाजिक और कानूनी असर
यह फैसला पति-पत्नी के बीच वैवाहिक संबंधों में अवैध दखल को रोकने और पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाने में मदद करेगा। अब परिवार के सदस्य, खासकर सास-ससुर, को सोच-समझकर व्यवहार करना होगा, अन्यथा उन्हें दीवानी मुकदमे और मुआवजे का सामना करना पड़ सकता है। यह निर्णय वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप को लेकर नया कानूनिक दिशा-निर्देश तय करता है।