RSS Centenary Celebration: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के अवसर पर भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल की। सरकार ने इस मौके पर एक खास डाक टिकट और 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया। सिक्के के एक ओर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह अंकित है, जबकि दूसरी ओर सिंह के साथ वरद मुद्रा में भारत माता की भव्य छवि उकेरी गई है। भारत माता के चरणों में नतमस्तक स्वयंसेवक भी दर्शाए गए हैं। यह भारतीय इतिहास का पहला अवसर है जब किसी सिक्के पर भारत माता की प्रतिमा अंकित की गई है। इस सिक्के के ऊपर संघ का बोध वाक्य भी लिखा गया है।“राष्ट्राय स्वाहा, इदं राष्ट्राय इदं न मम।” इसे देखकर हर स्वयंसेवक और नागरिक गर्व महसूस कर रहा है।
पीएम मोदी का संबोधन और शुभकामनाएं
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ की शताब्दी को “अविस्मरणीय क्षण” बताया। उन्होंने कहा कि यह हमारी पीढ़ी का सौभाग्य है कि हम इतने महत्वपूर्ण समय के गवाह बन रहे हैं। पीएम मोदी ने सभी स्वयंसेवकों को शुभकामनाएं दीं और उनके योगदान की सराहना करते हुए कहा कि संघ ने बीते सौ वर्षों में देश की सेवा और समाज को जोड़ने का महान कार्य किया है।
1963 की परेड की याद
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में 1963 की उस परेड का जिक्र किया जब गणतंत्र दिवस पर संघ के स्वयंसेवकों ने पहली बार शिरकत की थी। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवकों ने राष्ट्रभक्ति की धुन पर गर्व और शान के साथ कदमताल किया था। जैसे विशाल नदियों के किनारे सभ्यताएं पनपती हैं, उसी प्रकार संघ ने भी अनगिनत जीवनों को दिशा दी है। स्थापना के समय से ही इसका उद्देश्य स्पष्ट रहा है। राष्ट्र निर्माण और समाज में एकता का भाव जगाना।
शाखाएं बनीं व्यक्तित्व निर्माण की भूमि
प्रधानमंत्री ने संघ की शाखाओं की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शाखाओं को व्यक्ति निर्माण की यज्ञ वेदी कहा जाता है। यहां साधारण व्यक्ति आकर असाधारण कार्यों में योगदान करने की प्रेरणा पाता है। शाखा का मैदान वह स्थान है, जहां स्वयंसेवक “मैं” से “हम” की यात्रा तय करता है। यही कारण है कि संघ आज भी समाज के हर वर्ग में सेवा, अनुशासन और समर्पण का प्रतीक है।
राष्ट्र प्रथम का संकल्प और एक भारत,श्रेष्ठ भारत
पीएम मोदी ने कहा कि संघ की सौ साल की यात्रा तीन मजबूत स्तंभों पर टिकी रही है। राष्ट्र निर्माण का महान लक्ष्य, व्यक्तित्व निर्माण का स्पष्ट मार्ग और शाखा जैसी सरल व जीवंत कार्यपद्धति। उन्होंने कहा कि संघ ने हमेशा यह संदेश दिया है कि “राष्ट्र सर्वोपरि है।” त्याग, सेवा और बलिदान की भावना के साथ संघ का एक ही लक्ष्य रहा है।“एक भारत, श्रेष्ठ भारत।” यही सोच आने वाले समय में भी देश को नई ऊँचाइयों तक ले जाएगी।