SP Aarti Singh: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फर्रुखाबाद की पुलिस अधीक्षक (एसपी) आरती सिंह को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता को धमकाने और वकील को गिरफ्तार कराने के गंभीर मामले में तुरंत कोर्ट हिरासत में लेने का आदेश दिया, जिसके बाद यूपी सरकार के आग्रह पर सुनवाई हुई। जस्टिस जेजे मुनीर और जस्टिस संजीव कुमार की खंडपीठ ने यह सख्त कदम तब उठाया जब सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि एसपी के नेतृत्व में पुलिस ने न केवल याचिकाकर्ता को धमकाया और शिकायत न करने के लिए लिखित बयान लिया, बल्कि एक वकील अवधेश मिश्र को भी गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिया, जिनकी पुलिस को आशंका थी कि उन्होंने याचिका दाखिल कराई है। हाईकोर्ट ने एसपी की इस कार्यप्रणाली को न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला बताया।
कोर्ट ने SP Aarti Singh को तब तक अदालत में बिठाए रखा जब तक कि वकील रिहा नहीं हो गए। बाद में, यूपी सरकार ने हाईकोर्ट से पक्ष रखने का आग्रह किया, जिस पर मंगलवार दोपहर करीब 3:45 बजे कोर्ट में सुनवाई हुई।
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खंडपीठ फर्रुखाबाद निवासी प्रीति यादव की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यादव ने आरोप लगाया था कि 8 सितंबर की रात थाना प्रभारी अनुराग मिश्रा और सीओ समेत चार-पांच पुलिसकर्मियों ने उनके घर में घुसकर दो सदस्यों को हिरासत में लिया और करीब एक सप्ताह तक रखा। इस दौरान उनसे लिखित बयान लिया गया कि वह पुलिस के खिलाफ कोई शिकायत नहीं करेंगी, और यह भी लिखवाया गया कि उन्होंने कोई याचिका दाखिल नहीं की है। जब पुलिस ने यह लिखित बयान कोर्ट में पेश किया, तो कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया।
मामले में नया मोड़ तब आया जब वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ सिंह ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने वकील अवधेश मिश्र को, जिन पर याचिका दाखिल कराने का शक था, 11 अक्तूबर को उनके घर पर धावा बोलकर तोड़फोड़ की और मंगलवार को सुनवाई के बाद कोर्ट के बाहर से गैरकानूनी तरीके से हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद कोर्ट ने SP Aarti Singh की कार्यप्रणाली पर गंभीर नाराज़गी व्यक्त की। बाद की सुनवाई में, कोर्ट ने एसपी आरती सिंह को बुधवार तक व्यक्तिगत हलफनामा दायर करने का समय दिया, और उन्हें तथा उनकी पूरी टीम को व्यक्तिगत रूप से अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया।