Yogi Govt Diwali Gift: उत्तर प्रदेश के लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए दिवाली का पर्व इस बार खुशियों की एक और सौगात लेकर आया है। बोनस की घोषणा के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्यकर्मियों और पेंशनर्स को एक और बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर ली है। अब राज्य के 16 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनर्स को निजी अस्पतालों में भी असीमित (अनलिमिटेड) कैशलेस इलाज की सुविधा मिल सकेगी। स्वास्थ्य विभाग ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस योजना के तहत इस सुविधा को प्राइवेट अस्पतालों तक बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
इस प्रस्ताव को जल्द ही उच्च स्तर पर मंजूरी के लिए रखा जाएगा। मंजूरी मिलते ही आयुष्मान भारत योजना के तहत इंपैनल्ड (empanelled) प्राइवेट अस्पतालों में भी राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स सरकारी अस्पतालों की तरह ही बिना किसी सीमा के कैशलेस उपचार का लाभ उठा पाएंगे, जो उनके स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। यह फैसला खासकर उन पेंशनर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा, जिनके लिए प्राइवेट अस्पतालों में इलाज की 5 लाख रुपये की सीमा समाप्त होने के बाद खर्च जुटाना मुश्किल हो जाता था।
‘दीनदयाल योजना’ का दायरा बढ़ा
वर्तमान में, दीनदयाल उपाध्याय कैशलेस योजना के तहत राज्य कर्मचारियों को सरकारी अस्पताल, मेडिकल यूनिवर्सिटी या संस्थानों में तो अनलिमिटेड कैशलेस इलाज मिलता है, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में यह सीमा 5 लाख रुपये तक सीमित है। अब सरकार इस सीमा को खत्म करने की तैयारी में है। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कई दौर की बैठकों के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि आयुष्मान के तहत इंपैनल्ड प्राइवेट अस्पतालों में भी सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को सरकारी की तरह ही असीमित कैशलेस उपचार की सुविधा मिलेगी।
पेंशनर्स को सबसे बड़ी राहत
सूत्रों के मुताबिक, इस कदम से सबसे अधिक फायदा पेंशनर्स को होगा। 5 लाख रुपये की मौजूदा सीमा उनके लिए अक्सर कम पड़ जाती थी। अब अनलिमिटेड कैशलेस इलाज मिलने से उन्हें महंगे इलाज के लिए बजट की चिंता से मुक्ति मिलेगी।
ई-केवाईसी में सावधानी जरूरी
इस बीच, ई-केवाईसी को लेकर कर्मचारियों और पेंशनर्स को सख्त हिदायत दी गई है। साचीज (SACHIS) ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि ई-केवाईसी करते समय लाभार्थी गलती से भी ‘आयुष्मान वय वंदन योजना’ का चयन न करें। अगर कोई लाभार्थी ऐसा करता है, तो उसे ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना’ से बाहर कर दिया जाएगा। ‘वय वंदन योजना’ चुनने पर लाभार्थी केवल 5 लाख रुपये तक के इलाज तक सीमित हो जाएगा, जिससे उसे बड़ा नुकसान होगा। हालांकि, शासनादेश में संशोधन कर गलती सुधारने का विकल्प देने की उम्मीद है, लेकिन इसमें 5 से 7 महीने लग सकते हैं, इसलिए सावधानी ही बचाव है।
इस नई सुविधा के लागू होने से यूपी के लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य सुरक्षा की बड़ी गारंटी मिलेगी।