Maharashtra Politics News : पुणे के ऐतिहासिक शनिवार वाड़ा में कुछ महिलाओं द्वारा नमाज़ अदा किए जाने के एक वीडियो के वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। वीडियो में तीन अज्ञात महिलाओं को नमाज़ पढ़ते देखा गया, जिसके बाद दक्षिणपंथी संगठनों और कार्यकर्ताओं ने आपत्ति जताई और विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी सहित कई प्रदर्शनकारियों ने न केवल नाराजगी जताई बल्कि उस स्थान पर ‘शुद्धिकरण’ की रस्म भी अदा की, जहां नमाज़ हुई थी। स्थिति बिगड़ने की आशंका को देखते हुए पुलिस ने इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है।
प्रदर्शनों के बाद पुणे सिटी पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। शनिवार वाड़ा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तहत संरक्षित स्मारक है, और नियमों के अनुसार यहां किसी भी तरह की धार्मिक गतिविधि पर रोक है। इस बीच, एएसआई के एक कर्मचारी ने भी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें पुरातत्व स्थल के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। पुलिस का कहना है कि संरक्षित स्मारकों में नियमों की अनदेखी करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नितेश राणे ने उठाया सवाल
इस घटना ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नितेश राणे ने शनिवार वाड़ा को “हिंदू शौर्य का प्रतीक” बताते हुए कहा कि यह स्थान हिंदू समुदाय की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने सवाल किया, “अगर कोई हिंदू हाजी अली दरगाह में हनुमान चालीसा पढ़े तो क्या मुसलमानों को आपत्ति नहीं होगी?” राणे ने कहा कि नमाज़ केवल निर्धारित स्थानों पर ही अदा की जानी चाहिए और दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा इस पर आवाज उठाना उचित कदम है।
एनसीपी ने किया पलटवार
वहीं, एनसीपी नेता रूपाली थोम्ब्रे ने भाजपा सांसद मेधा कुलकर्णी पर आरोप लगाया कि वह इस मुद्दे को भड़काकर धार्मिक तनाव फैलाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, “मेधा कुलकर्णी जैसी महिलाओं को हिंदुत्व का पाठ पढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है। उनके बयानों और कार्रवाइयों से पुणे में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द प्रभावित हो रहा है।
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प्रशासन को चाहिए कि वह उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करे ताकि समाज में शांति बनी रहे।” कुल मिलाकर, शनिवार वाड़ा में शुरू हुआ यह विवाद अब राजनीतिक और साम्प्रदायिक बहस का रूप ले चुका है, जिसके चलते प्रशासन सतर्क हो गया है और क्षेत्र में पुलिस की निगरानी बढ़ा दी गई है।