Muzaffarnagar News: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में डीएवी पीजी कॉलेज के बीए द्वितीय वर्ष के छात्र उज्जवल राणा (22) की फीस विवाद में हुई मौत ने शिक्षा व्यवस्था और पुलिस-प्रशासन के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। शनिवार को कॉलेज परिसर में खुद पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने वाले उज्जवल ने रविवार की रात दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। उज्जवल सिर्फ ₹5,250 की बकाया फीस के लिए कॉलेज प्रशासन द्वारा लगातार उत्पीड़न का शिकार था। मौत की खबर फैलते ही बुढ़ाना में हड़कंप मच गया और स्थानीय लोगों व परिजनों ने कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन किया। छात्र की बहन सलोनी राणा की तहरीर पर कॉलेज मैनेजर, प्रिंसिपल, शिक्षक और तीन पुलिसकर्मियों सहित छह लोगों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (बीएनएस धारा 108) का मुकदमा दर्ज किया गया है।
मरने से पहले वायरल वीडियो और सुसाइड नोट
आत्मदाह की घटना से पहले उज्जवल ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल किया था, जिसमें उसने प्रिंसिपल प्रदीप कुमार पर मारपीट और गाली-गलौज का आरोप लगाया था। उज्जवल ने कहा था कि जब उसने फीस न दे पाने वाले छात्रों के लिए आवाज उठाई, तो प्रिंसिपल ने उसके बाल खींचे और उसे सबके सामने अपमानित किया।
Muzaffarnagar कॉलेज प्रशासन की शिकायत पर मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मियों, एसआई नंदकिशोर और सिपाही ज्ञानवीर पर भी उज्जवल ने धमकाने और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। वीडियो और घटना स्थल से मिले एक हाथ से लिखे नोट में उज्जवल ने स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर उसे कुछ होता है, तो इसके जिम्मेदार प्रिंसिपल और तीन पुलिसकर्मी होंगे। नोट में उसने न्याय और ईमानदारी से अपना विश्वास टूटने की बात भी लिखी थी।
पुलिसकर्मियों पर हुई कार्रवाई, न्यायिक जांच की मांग
परिजनों और ग्रामीणों के विरोध के बाद Muzaffarnagar पुलिस प्रशासन ने कार्रवाई की है। एसएसपी संजय कुमार वर्मा ने एसआई नंदकिशोर, सिपाही विनीत और ज्ञानवीर को कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में तत्काल लाइन हाजिर कर दिया है।
दर्ज की गई प्राथमिकी में कॉलेज मैनेजर अरविंद गर्ग, प्रिंसिपल प्रदीप कुमार, शिक्षक संजीव कुमार और तीन पुलिसकर्मियों के नाम शामिल हैं। जिला प्रशासन ने इस पूरे मामले की गहन जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया है। वहीं, राजनीतिक दलों ने भी इस घटना की निंदा करते हुए इसे ‘व्यवस्था द्वारा हत्या’ बताया है और न्यायिक जांच की मांग की है।
उज्जवल राणा के पिता हरेंद्र, जो एक किसान हैं, और पूरा परिवार अब न्याय की गुहार लगा रहा है। इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा के व्यावसायीकरण और फीस के दबाव में छात्रों की मानसिक पीड़ा के गंभीर मुद्दे को राष्ट्रीय पटल पर ला दिया है।










