यह कहानी है एक साधारण परिवार से निकलकर बॉलीवुड के सुपरस्टार बनने तक के सफर की, जो किसी सपने से कम नहीं। जब धर्मेंद्र ने पंजाब के एक छोटे से गांव से मुंबई की भीड़-भाड़ में कदम रखा, तो उनके पास सिर्फ 51 रुपये की जमा पूंजी थी। उस वक्त न पैसों का इंतजाम था, न कोई बड़ा कनेक्शन। लेकिन उनकी मेहनत, धैर्य और हिम्मत ने उन्हें एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया जहां उन्हें बॉलीवुड का “हिटमैन” और “संडे का राजा” कहा जाने लगा।
धर्मेंद्र का जन्म और पालन-पोषण भटिंडा, पंजाब में हुआ। पढ़ाई पूरी कर जब वे मुंबई आए, तो उनका सामना शोज़ की कठिनाइयों से हुआ। शुरुआत में छोटे-मोटे रोल्स और संघर्ष का दौर चला। फिर धीरे-धीरे उन्हें फिल्मों में मौका मिला, और उनकी पहली फिल्म ‘फ़ज्र’ ने साबित कर दिया कि उनमें कुछ खास है।
काबिलियत से बनाई ही-मैन की हस्ती
उनकी हस्ती में एक अनोखी काबिलियत थी – गंभीर अभिनय से लेकर मसाला फिल्मों तक सबमें परफॉर्मेंस। उनके डायलॉग, स्टाइल और बॉक्स ऑफिस पर धमाका करने वाली फिल्मों ने लाखों दिल जीते। ‘शोले’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘रांझा’, ‘खलनायक’ जैसी फिल्में उन्हें बॉलीवुड के शीर्ष कलाकारों में लाकर खड़ा कर गईं। धर्मेंद्र ने केवल एक्टिंग ही नहीं, बल्कि प्रोडक्शन और निर्देशन में भी हाथ आजमाया।
अपने करियर के दौरान धर्मेंद्र ने न केवल बॉलीवुड को मनोरंजन दिया, बल्कि कई सामाजिक मुद्दों को भी फिल्मों में उठाया। वे एक सच्चे कलाकार से बढ़कर एक सामाजिक कार्यकर्ता भी बन गए। उनकी निजी ज़िंदगी भी फिल्मों जितनी ही प्रेरणादायक रही। उन्होंने हेमा मालिनी से प्रेम किया और एक आदर्श परिवार की मिसाल कायम की।
धर्मेंद्र की कहानी संघर्ष, उम्मीद और जुनून की मिसाल है जो यह दिखाती है कि छोटे संसाधनों और अनजान जगह से भी बड़ी ऊंचाइयों पर पहुंचा जा सकता है। 51 रुपये से शुरू हुआ उनका सफर एक सबक है कि मेहनत और लगन से हर सपना पूरा हो सकता है।



