Bijnor: उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर गहराई से नजर डालने पर सामने आता है कि इसके पीछे कई गंभीर और संवेदनशील कारण हैं। बीते 11 महीनों में दर्ज 197 आत्महत्या के मामलों के विश्लेषण से यह स्पष्ट हुआ है कि विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत परेशानियां इस विकराल समस्या को जन्म दे रही हैं।
आत्महत्या के मामलों में प्रेम में असफलता सबसे बड़ा कारण रहा है, जहां कुल 17 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इसके बाद घरेलू कलह या पारिवारिक क्लेश ने 15 लोगों की जान ली। गरीबी और कर्ज के कारण भी 12 मामलों में लोग आत्महत्या जैसा दर्दनाक कदम उठा चुके हैं।
एकतरफा प्यार के कारण 10 लोग और परीक्षा में असफलता के कारण 9 लोगों ने अपने जीवन का अंत किया। शराब की आदत भी 7 केसों में मौत का प्रमुख कारण रही है। प्रतियोगी परीक्षाओं में चयन न हो पाने की निराशा ने 6 लोगों को इस कगार तक पहुंचाया है। गंभीर बीमारियों से मुक्ति पाने की चाह में भी 5 लोगों ने अपनी जान दी।
इसके अलावा, बेरोजगारी और आर्थिक तंगी ने भी 12 मौतों का कारण बना, जो सामाजिक और आर्थिक संकट की गंभीरता को दर्शाता है।
कुछ दर्दनाक घटनाओं ने इस समस्या को और गहरा किया है। मंडावर के मोंहडिया गांव में ही एक मां ने बेटे को जहर देकर अपनी जान ले ली, जबकि 15 दिन पहले ही उसके पति ने खुदकुशी की थी। एक प्रेमी जोड़े ने शादी से इनकार के बाद फांसी लगा ली, और IIT की ग्रेजुएट ललिता रानी ने यूपीएससी में चयन न होने की निराशा में गंगा में छलांग लगा दी।
यह सभी घटनाएं बिजनौर में मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा की कमज़ोर स्थिति को उजागर करती हैं। जरूरत इस बात की है कि सरकार एवं समाज मिलकर इस संकट को समझें और आत्महत्या रोकथाम के लिए व्यापक जागरूकता, मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं का विकास और आर्थिक सहायता प्रदान करें।


