PK political retirement: चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर (पीके) बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अपने पहले मीडिया संबोधन में विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने पहले दावा किया था कि अगर नीतीश कुमार की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) 25 से अधिक सीटें जीतती है, तो वह राजनीति से संन्यास ले लेंगे, लेकिन अब जेडीयू के 85 सीटें जीतने के बाद वह इस बात से पलट गए हैं। जन सुराज पार्टी के सुप्रीमो ने तर्क दिया कि वह पार्टी में किसी पद पर नहीं हैं, जिससे वह इस्तीफा दें। इसके बजाय, उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की जीत को सीधे तौर पर वोट खरीदने से जोड़ा, आरोप लगाया कि नीतीश कुमार ने जीविका समूह की महिलाओं को ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत चुनाव से ठीक पहले ₹10,000 नकद देकर वोट खरीदे हैं।
उन्होंने आगे चुनौती दी है कि अगर सरकार 6 महीने बाद इन महिलाओं को स्वरोजगार के लिए ₹2-2 लाख नहीं देती है, तो यह माना जाएगा कि उन्होंने केवल वोट खरीदने के लिए सरकारी योजना का इस्तेमाल किया था।
VIDEO | Patna: Jan Suraaj Party founder Prashant Kishor, in his first post-election press conference, says, "For the first time in independent India – especially in Bihar – a government promised to spend Rs 40,000 crore for people, and that is why the NDA secured such a big… pic.twitter.com/GHT7AiybVf
— Press Trust of India (@PTI_News) November 18, 2025
संन्यास के दावों पर सफाई और भविष्य की रणनीति
बिहार चुनाव में जन सुराज पार्टी (जेएसपी) को शून्य सीटें मिलने और जेडीयू को 85 सीटें मिलने के बाद प्रशांत किशोर पहली बार मीडिया के सामने आए। अपने पूर्व के बयान पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने यह नहीं कहा था कि वह बिहार छोड़ देंगे। पीके ने स्पष्ट किया कि वह आगे भी बिहार में ही रहेंगे और घूमते रहेंगे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह भविष्य में भी राज्य की राजनीति में सक्रिय रहेंगे। चुनाव से पहले वह लगातार जेडीयू को 25 से कम सीटें मिलने का दावा कर रहे थे और कहते थे कि जन सुराज या तो अर्श पर रहेगी या फर्श पर। नतीजों से साफ है कि दूसरी बात सही साबित हुई।
‘वोट खरीदने’ का गंभीर आरोप और नई चुनौती
प्रशांत किशोर PK ने एनडीए की जीत का श्रेय सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग को दिया है। PK ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने चुनाव से पहले ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत जीविका समूह की महिलाओं को ₹10,000 नकद दिए, जिसे उन्होंने ‘वोट खरीदना’ करार दिया। इस आरोप को और पुख्ता करते हुए उन्होंने सरकार को एक नई चुनौती दी है। PK ने कहा है कि अगर योजना के प्रावधानों और नियमों के तहत सरकार 6 महीने के बाद उन महिलाओं को स्वरोजगार के लिए ₹2-2 लाख नहीं देती है, तो वह राजनीति और बिहार छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है, तो यह साफ समझा जाएगा कि उन्होंने वोट खरीदने के लिए सरकारी योजना के नाम पर नकद पैसा दिया। उन्होंने यह भी बताया कि सरकार ने चुनाव से पहले ₹40,000 करोड़ की योजनाओं का ऐलान किया था।
फौजी का ‘लव जिहाद’! शादी का झांसा देकर नाबालिग को मारा, लाश के ऊपर से गया शॉपिंग करने!
जेएसपी का चुनावी प्रदर्शन: सीट शून्य, पर वोट शेयर अधिक
भले ही जन सुराज पार्टी ने 238 सीटों पर चुनाव लड़ा और 236 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन वोट शेयर के मामले में पार्टी ने कुछ हद तक अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। जेएसपी को कुल 3.4% वोट शेयर मिला है। यह वोट शेयर एक सीट जीतने वाली मायावती की बीएसपी और आईपी गुप्ता की आईआईपी, दो सीट जीतने वाली सीपीआई-एमएल और पांच सीट जीतने वाली एआईएमआईएम से भी अधिक है। हालांकि, यह अधिक सीटें लड़ने के कारण हुआ। सीपीआई-माले को 3% से कम और बीएसपी व एआईएमआईएम को 2% से कम वोट मिले थे। जन सुराज के उम्मीदवारों का प्रदर्शन कुछ ऐसा रहा:
1 सीट पर दूसरे स्थान पर
129 सीट पर तीसरे स्थान पर
73 सीट पर चौथे स्थान पर
इस प्रदर्शन से साफ है कि भले ही पार्टी को कोई सीट न मिली हो, लेकिन कई सीटों पर उसने मुख्य पार्टियों के वोट काटे हैं और एक आधार बनाने की कोशिश की है।





