UP Primary Teacher: उत्तर प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक और शिक्षणेत्तर कर्मियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। बेसिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों (BSA) को निर्देश जारी किए हैं कि बिना स्पष्टीकरण लिए उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह फैसला बेसिक शिक्षा से जुड़े कर्मचारियों के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है।
यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि आमतौर पर बेहद मामूली और छोटी-छोटी गलतियों, जैसे 10-20 मिनट की देरी या मिड-डे मील के मेन्यू में मामूली बदलाव, के लिए भी शिक्षकों और कर्मचारियों को दंडित करने, यहाँ तक कि वेतन काटने या निलंबित करने का चलन बढ़ता जा रहा था। शिक्षक और कर्मचारी संगठन इस स्थिति को लेकर लगातार उद्वेलित थे और कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे।
बेसिक शिक्षा अधिकारियों को नियमावलियों का पालन करने का आदेश
UP Primary बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने अपने आदेश में कहा है कि अब नियमावलियों का अनुपालन कड़ाई से करना अनिवार्य कर दिया गया है। आदेश में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा परिषद कर्मचारी वर्ग नियमावली-1973 और उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 में दिए गए प्रावधानों के अनुसार ही कार्रवाई करने का हवाला दिया गया है।
मामूली गलतियों पर भी सजा से मुक्ति
पहले, UP Primary बेसिक शिक्षा अधिकारी या खण्ड शिक्षा अधिकारी मामूली गलतियों, जैसे 10-20 मिनट विलम्ब से विद्यालय पहुंचना या तकनीकी कारणों से मध्यान्ह भोजन के मेन्यू में बदलाव, को आधार बनाकर शिक्षक अथवा शिक्षणेत्तर कर्मचारी का एक दिन का वेतन काटने से लेकर निलम्बन तक के आदेश जारी कर देते थे। कई शिक्षकों ने शिकायत की थी कि ऐसी स्थिति के चलते अनावश्यक डर बना रहता था, जो पठन-पाठन के माहौल के लिए ठीक नहीं था।
नए निर्देश के तहत, अब किसी भी UP Primary या कर्मचारी के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई करने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने (स्पष्टीकरण) का अनिवार्य मौका दिया जाएगा। निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिस भी स्तर से इन नियमावलियों की अवहेलना की जाएगी, उनका उत्तरदायित्व तय किया जाएगा। यह आदेश शिक्षकों को अनावश्यक उत्पीड़न से बचाने और कार्यस्थल पर एक बेहतर, भयमुक्त माहौल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।



