Abdullah Azam Khan Case: समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खान के बेटे और पूर्व विधायक अब्दुल्ला आज़म खान को फर्जी पासपोर्ट मामले में 7 साल की कड़ी कैद की सजा सुनाई गई है। रामपुर की विशेष MP-MLA अदालत ने आज, 5 दिसंबर 2025 को यह फैसला सुनाया। यह सजा 2019 में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना की शिकायत पर दर्ज FIR से संबंधित है, जिसमें अब्दुल्ला पर दो अलग-अलग जन्मतिथियों वाले पासपोर्ट बनाने का आरोप था। अदालत ने जाली दस्तावेजों के इस्तेमाल को गंभीर अपराध मानते हुए यह फैसला दिया।
तीन मामलों में 21 साल की सजा: परिवार की राजनीतिक यात्रा पर संकट
रामपुर की विशेष MP-MLA कोर्ट का यह फैसला Abdullah Azam Khan के लिए तीसरा बड़ा झटका है। इस नई सजा के साथ, अब्दुल्ला पर अब तक कुल 21 साल की जेल की सजा हो चुकी है।
फर्जी पासपोर्ट मामला (नया): 7 साल की सजा (आज, 5 दिसंबर 2025)।
बर्थ सर्टिफिकेट मामला: 7 साल की सजा।
ड्यूल PAN कार्ड मामला: 7 साल की सजा (17 नवंबर 2025 को सुनाई गई)।
सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद, Abdullah Azam Khan को रामपुर जिला जेल भेज दिया गया। वह पहले से ही PAN कार्ड मामले में जेल में बंद हैं, और उनके पिता आज़म खान भी उसी जेल में हैं। अब्दुल्ला (32 वर्ष) के लिए यह सजा परिवार की राजनीतिक यात्रा को और चुनौतीपूर्ण बना रही है।
मामला क्या था? चुनावी न्यूनतम आयु का विवाद
यह मामला 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान सामने आया था। भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने दो जाली पासपोर्ट बनवाए थे।
पहला पासपोर्ट: जन्मतिथि 1 जनवरी 1993।
दूसरा पासपोर्ट: जन्मतिथि 30 सितंबर 1990।
अभियोजन पक्ष का तर्क था कि यह सब 2017 के विधानसभा चुनाव में न्यूनतम आयु (25 वर्ष) पूरी करने के लिए किया गया था। अब्दुल्ला ने स्वार सीट से चुनाव लड़ने के लिए कथित तौर पर यह हथकंडा अपनाया था, जिसके बाद वे विधायक बने थे। अदालत ने जाली दस्तावेजों के उपयोग (IPC धारा 471) और जालसाजी (IPC धारा 468) जैसे गंभीर अपराधों में दोषी ठहराते हुए 7 साल की सजा सुनाई।
सियासी प्रतिक्रियाएं: ‘प्रतिशोध’ बनाम ‘कानून का पालन’
इस फैसले पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है।
समाजवादी पार्टी (सपा): नेताओं ने फैसले को “राजनीतिक प्रतिशोध” और “रामपुर में सपा को कमजोर करने का प्रयास” करार दिया है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा): इस फैसले को “कानून का सख्ती से पालन” बताया जा रहा है। शिकायतकर्ता भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने ट्वीट कर कहा, “अपराधियों को सजा मिलनी ही चाहिए।”
सपा नेतृत्व अब कानूनी टीम के माध्यम से ऊपरी अदालतों में अपील की तैयारी कर रहा है, लेकिन Abdullah Azam Khan के लिए फिलहाल जेल से बाहर आने का रास्ता लंबा दिख रहा है। यह देखना बाकी है कि यह फैसला रामपुर की सियासत को किस तरह प्रभावित करता है।

