विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) की ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार डायबिटीज तेजी से वैश्विक महामारी बन चुकी है। 2025 में ही हर 9 सेकंड में एक व्यक्ति की डायबिटीज से मौत हो रही है, जबकि 2050 तक दुनिया की 13% आबादी यानी लगभग 1.3 अरब लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। भारत इस खतरे से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों में शुमार है।
भयावह आंकड़े और वर्तमान स्थिति
IDF डायबिटीज एटलस 2025 के अनुसार, दुनिया भर में 5.89 करोड़ वयस्क डायबिटीज से पीड़ित हैं, जिसमें 80% एशियाई और अफ्रीकी देशों से हैं। हर साल 47 लाख मौतें सीधे डायबिटीज से और 73 लाख हृदय रोग व किडनी फेलियर जैसी जटिलताओं से हो रही हैं। भारत में 10.1 करोड़ से ज्यादा डायबिटीज मरीज हैं, जो वैश्विक मामलों का 20% है।
2050 तक का अनुमानित परिदृश्य
2050 तक डायबिटीज के मामलों में 46% की वृद्धि होने का अनुमान है। निम्न-मध्यम आय वाले देशों में 90% नई केसेज होंगी। स्वास्थ्य खर्च 1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक पहुंच सकता है। शहरीकरण, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता मुख्य कारण हैं।
भारत पर विशेष खतरा
भारत को ‘विश्व की डायबिटीज राजधानी’ कहा जा रहा है। ICMR-INDIAB अध्ययन के अनुसार, देश की 11.4% वयस्क आबादी प्रभावित है। पंजाब, तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दर 20% से ऊपर है। 2050 तक 1.5 करोड़ नए केसेज जोड़े जा सकते हैं। अनियंत्रित डायबिटीज से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और किडनी फेलियर के मामले बढ़ रहे हैं।
रोकथाम के उपाय
डायबिटीज के 80% मामलों को रोका जा सकता है। संतुलित आहार, 30 मिनट दैनिक व्यायाम, वजन नियंत्रण और नियमित जांच जरूरी हैं। सरकारें स्क्रीनिंग कैंप, सस्ती दवाएं और जागरूकता अभियान चला रही हैं। WHO का लक्ष्य 2030 तक नई केसेज में 30% कमी लाना है।
भविष्य की चुनौतियां
महिलाओं और युवाओं में तेजी से फैलाव चिंता का विषय है। पोषणहीनता और तनाव इसे बढ़ावा दे रहे हैं। समय रहते कार्रवाई न हुई तो स्वास्थ्य व्यवस्था पर बोझ असहनीय हो जाएगा।



