हर साल दिसंबर के आख़िरी दिनों में आसमान में एक शांत लेकिन बेहद खूबसूरत खगोलीय घटना देखने को मिलती है, जिसे उर्सिड उल्कापात (Ursid Meteor Shower) कहा जाता है। यह साल का आख़िरी प्रमुख उल्कावर्षा होता है। भले ही यह जेमिनिड्स या पर्सिड्स जितना तेज़ और चमकदार न हो, लेकिन सर्दियों की लंबी रातों और साफ़ आसमान के कारण भारतीय दर्शकों के लिए यह एक बेहतरीन अनुभव बन जाता है। अच्छी बात यह है कि इसे देखने के लिए किसी खास उपकरण की ज़रूरत नहीं होती।
उर्सिड उल्कापात क्या है
उर्सिड उल्कापात तब होता है जब पृथ्वी, धूमकेतु 8P/टटल द्वारा छोड़े गए धूल और मलबे के रास्ते से गुजरती है। ये बेहद छोटे कण जब तेज़ रफ्तार से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं, तो जलकर चमकदार लकीरों के रूप में दिखाई देते हैं, जिन्हें हम टूटते तारे या उल्का कहते हैं।
उर्सिड उल्कापात की खास बातें
यह हर साल दिसंबर में दिखाई देता है
गतिविधि शांत और स्थिर होती है
अधिकतम समय में लगभग 8 से 10 उल्काएं प्रति घंटा देखी जा सकती हैं
कम शोर-शराबे वाला लेकिन सुकून भरा खगोलीय नज़ारा
भारत में उर्सिड उल्कापात 2025 की तारीख और समय
भारत में उर्सिड उल्कापात 22 दिसंबर की रात से 23 दिसंबर की सुबह तक अपने चरम पर रहने की संभावना है। हालांकि, अलग-अलग शहरों में इसका सही समय थोड़ा बदल सकता है।
प्रमुख भारतीय शहरों में अनुमानित देखने का समय
दिल्ली, जयपुर, चंडीगढ़ – रात 9 बजे से आधी रात तक
मुंबई, पुणे – शाम 8 बजे के बाद
चेन्नई, बेंगलुरु – शाम 7:30 बजे से
कोलकाता, भुवनेश्वर – शाम 8 बजे के आसपास
हैदराबाद – रात 9 बजे के बाद
ध्यान रखें कि इसका पीक समय बहुत लंबा नहीं होता, इसलिए सही समय पर आसमान की ओर देखना ज़रूरी है।
दुनिया में उर्सिड उल्कापात का पीक टाइम
वैश्विक स्तर पर उर्सिड उल्कापात का अधिकतम प्रभाव 22 दिसंबर को रात 11:00 UTC के आसपास माना जा रहा है। भारत में यह समय 23 दिसंबर की सुबह के घंटों से मेल खाता है।
उर्सिड उल्कापात देखने का सही तरीका
उर्सिड उल्कापात को देखने के लिए आपको किसी दूरबीन या टेलीस्कोप की ज़रूरत नहीं है। बस कुछ आसान बातों का ध्यान रखें।
बेहतर अनुभव के लिए ज़रूरी सुझाव
शहर की तेज़ रोशनी से दूर किसी खुले स्थान पर जाएं
मोबाइल और अन्य चमकदार लाइट से दूरी बनाएं
आंखों को अंधेरे में ढलने के लिए कम से कम 20 मिनट दें
गर्म कपड़े पहनें क्योंकि दिसंबर की रातें ठंडी होती हैं
आराम से लेटकर या कुर्सी पर बैठकर आसमान देखें
क्या मोबाइल से उर्सिड उल्कापात की फोटो ली जा सकती है
आजकल के स्मार्टफोन में नाइट मोड और लॉन्ग एक्सपोज़र फीचर होते हैं। अगर किस्मत साथ दे और हाथ स्थिर रहे, तो आप उल्का की लकीर को कैमरे में कैद कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए धैर्य ज़रूरी है।
उर्सिड उल्कापात क्यों खास है
यह साल का आख़िरी बड़ा उल्कापात होता है
सर्दियों की लंबी रातें देखने का समय बढ़ा देती हैं
कम भीड़ और शांत वातावरण में खगोल दर्शन का मौका
बच्चों और शुरुआती खगोल प्रेमियों के लिए आदर्श
FAQs
उर्सिड उल्कापात कितने दिनों तक दिखाई देता है
उत्तर: यह आमतौर पर 17 से 26 दिसंबर के बीच सक्रिय रहता है, लेकिन चरम समय 22-23 दिसंबर होता है।
क्या इसे नंगी आंखों से देखा जा सकता है
उत्तर: हां, उर्सिड उल्कापात को बिना किसी उपकरण के नंगी आंखों से आसानी से देखा जा सकता है।
क्या चांदनी देखने में बाधा बनेगी
उत्तर: हल्की चांदनी हो सकती है, लेकिन सही दिशा और अंधेरी जगह चुनने से दृश्यता बेहतर रहती है।
बच्चों के लिए यह सुरक्षित है या नहीं
उत्तर: बिल्कुल सुरक्षित है। यह एक प्राकृतिक खगोलीय घटना है और देखने में कोई खतरा नहीं।
भारत में देखने के लिए सबसे अच्छी दिशा कौन सी है
उत्तर: उत्तर दिशा की ओर खुले आसमान में देखने से बेहतर संभावना रहती है।



