Kuldeep Singh Sengar bail challenged: उन्नाव रेप केस में सजायाफ्ता पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली जमानत का मुद्दा अब देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने हाल ही में सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत देने का आदेश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह याचिका अधिवक्ता अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करने की मांग की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर को इस आधार पर राहत दी कि वह कानूनन ‘लोक सेवक’ (Public Servant) की श्रेणी में नहीं आते, जिससे उन पर पॉक्सो एक्ट की धारा 5(c) के तहत ‘गंभीर पैठ यौन हमला’ (Aggravated Penetrative Sexual Assault) का आरोप तकनीकी रूप से सिद्ध नहीं होता। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि सेंगर पहले ही 7 साल से अधिक की सजा काट चुके हैं।
हाईकोर्ट ने क्यों दी जमानत?
दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ (जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर) ने जमानत देते समय निम्नलिखित तर्क दिए:
लोक सेवक की परिभाषा: कोर्ट ने माना कि अपराध के समय सेंगर का विधायक होना उन्हें पॉक्सो एक्ट और IPC की विशिष्ट धाराओं के तहत उस ‘लोक सेवक’ की श्रेणी में नहीं लाता जो पद का दुरुपयोग कर रहा हो।
सजा की अवधि: Kuldeep Singh Sengar 30 नवंबर 2025 तक लगभग 7 साल और 5 महीने जेल में बिता चुके हैं, जो उनके अपराध के लिए निर्धारित न्यूनतम सजा से अधिक है।
अपील लंबित होना: चूंकि उनकी मुख्य अपील अभी भी विचाराधीन है, इसलिए कोर्ट ने सजा को निलंबित करना उचित समझा।
जमानत के साथ लगी सख्त शर्तें
हाईकोर्ट ने सेंगर को ₹15 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी है, लेकिन उन पर कई पाबंदियां भी लगाई हैं:
वह पीड़िता के निवास स्थान के 5 किलोमीटर के दायरे में नहीं जा सकते।
उन्हें अपना पासपोर्ट ट्रायल कोर्ट में जमा करना होगा और हर सोमवार सुबह 10 बजे पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगानी होगी।
वह दिल्ली से बाहर नहीं जा सकेंगे और पीड़िता या उसके परिवार को किसी भी तरह से डराने-धमकाने का प्रयास नहीं करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
भले ही अंजले पटेल और पूजा शिल्पकार ने याचिका दायर की है, लेकिन सीबीआई (CBI) और पीड़िता के वकील ने भी हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। पीड़िता ने इस फैसले पर गहरा दुख जताते हुए इसे अपने परिवार के लिए ‘काल’ (मृत्यु) के समान बताया है।
नोट: जमानत मिलने के बावजूद कुलदीप सेंगर फिलहाल जेल से बाहर नहीं आ सकेंगे, क्योंकि वह पीड़िता के पिता की कस्टोडियल डेथ (हिरासत में मौत) के मामले में 10 साल की सजा काट रहे हैं, जिसमें उन्हें अभी राहत नहीं मिली है।





