Google AI self-treatment antibiotic reaction: इंटरनेट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर बढ़ती निर्भरता अब स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन रही है। गोरखपुर एम्स के चर्म रोग विभाग के अनुसार, पिछले 10 महीनों में 18 ऐसे मरीज पहुंचे जिन्होंने गूगल या झोलाछाप की सलाह पर एंटीबायोटिक दवाएं ली थीं। इनमें से 12 मरीजों ने सीधे तकनीक का सहारा लिया, जिसके बाद उन्हें त्वचा के काले पड़ने और अन्य गंभीर रिएक्शंस का सामना करना पड़ा। विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गुप्ता ने चेतावनी दी है कि ‘सल्फोनामाइड’ ग्रुप की एंटीबायोटिक दवाओं का रिएक्शन सबसे घातक होता है। बिना डॉक्टरी परामर्श के दवाएं लेना जानलेवा हो सकता है क्योंकि डॉक्टर अक्सर एंटीबायोटिक के साथ एंटी-रिएक्शन दवाएं भी देते हैं। सरकार ने दवाओं के दुष्प्रभाव (ADR) की रिपोर्ट करने के लिए टोल-फ्री नंबर 18001803024 भी जारी किया है।
प्रमुख आंकड़े और घटनाक्रम
पिछले 10 महीनों के भीतर गोरखपुर एम्स के चर्म रोग विभाग में कुल 18 ऐसे गंभीर मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें मरीजों की Google AI self-treatment हालत गलत दवाओं के सेवन से बिगड़ी थी।
12 मरीज: इन्होंने सीधे गूगल और AI चैटबॉट्स से सलाह लेकर एंटीबायोटिक दवाएं खाईं।
06 मरीज: इन्होंने स्थानीय मेडिकल स्टोर या झोलाछाप डॉक्टरों के कहने पर दवाएं लीं।
इन सभी मरीजों को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती करना पड़ा क्योंकि दवाओं के रिएक्शन ने उनके शरीर पर भयावह असर दिखाया था।
सल्फोनामाइड: सबसे घातक एंटीबायोटिक ग्रुप
चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ. सुनील गुप्ता के अनुसार, दवाओं का रिएक्शन कब जानलेवा बन जाए, यह कहना मुश्किल है। उनके अध्ययन में पाया गया है कि:
सल्फोनामाइड (Sulfonamide) ग्रुप की दवाओं का रिएक्शन सबसे ज्यादा और खतरनाक होता है।
इसके अलावा ओफ्लाक्सासिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन और मेट्रोनिडाजोल जैसी सामान्य एंटीबायोटिक दवाएं भी बिना सही तालमेल के लेने पर जहर की तरह काम करती हैं।
बिहार के एक मरीज का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि सल्फोनामाइड लेने के चंद घंटों बाद उसका पूरा शरीर काला पड़ गया और उसे 15 दिनों तक एम्स में भर्ती रहकर मौत से लड़ना पड़ा।
खतरे की जद में आने वाली मुख्य दवाएं
डॉक्टरों ने एक Google AI self-treatment सूची जारी की है, जिनका सेवन बिना विशेषज्ञ की सलाह के कभी नहीं करना चाहिए:
एंटीबायोटिक: ओफ्लाक्सासिन, ओरनिडाजोल, टिनिडाजोल।
पेनकिलर: निमेसुलाइड (बुखार के लिए)।
अन्य: फेनीटोइन (झटके/मिर्गी के लिए), एल्युप्यूरीन (यूरिक एसिड के लिए)।
विशेष नोट: डॉक्टर जब ये दवाएं लिखते हैं, तो वे इसके साथ ‘एंटी-एलर्जिक’ या सहायक दवाएं भी देते हैं ताकि शरीर पर इनका बुरा प्रभाव न पड़े। गूगल या मेडिकल स्टोर वाले अक्सर यह बारीकी नहीं समझ पाते।
सावधानी और सरकारी हेल्पलाइन
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं के इस दुष्प्रभाव (Adverse Drug Reaction) की गंभीरता को देखते हुए इंडियन फार्माकोपिया कमीशन के माध्यम से एक पोर्टल और टोल-फ्री नंबर जारी किया है।
हेल्पलाइन नंबर:
18001803024यदि किसी दवा से शरीर पर चकत्ते, कालापन या सूजन आए, तो तुरंत इस नंबर पर सूचित करें।
मोबाइल आपकी जानकारी बढ़ा सकता है, लेकिन वह आपका डॉक्टर नहीं हो सकता। अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ न करें और केवल प्रमाणित डॉक्टरों से ही सलाह लें।





