सलमान खान की आगामी फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ का टीजर रिलीज होते ही चीन में हंगामा मच गया। चीनी राज्य समर्थित ग्लोबल टाइम्स ने फिल्म पर तथ्यों को तोड़-मरोड़ने का आरोप लगाया। यह विवाद 2020 गलवान घाटी संघर्ष पर आधारित फिल्म से उपजा है, जहां भारतीय सैनिकों ने चीनी घुसपैठ का मुकाबला किया था।
फिल्म का बैकग्राउंड
फिल्म ‘बैटल ऑफ गलवान’ 15 जून 2020 को पूर्वी लद्दाख के गलवान नाले में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प पर आधारित है। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, जबकि चीन ने 40+ हताहत स्वीकार किए। सलमान खान एक शहीद सैनिक की भूमिका में हैं, फिल्म को सलमान और उनकी मां सलमा खान प्रोड्यूस कर रहे हैं। टीजर 27 दिसंबर 2025 को सलमान के 60वें जन्मदिन पर रिलीज हुआ, जो अप्रैल 2026 में सिनेमाघरों में आएगा।
चीन की नाराजगी के कारण
ग्लोबल टाइम्स ने लेख में कहा कि फिल्म गलवान को ‘चीनी क्षेत्र’ बताकर तथ्यों को विकृत करती है और भारत को आक्रामक दिखाती है। चीनी विशेषज्ञ लैन जियानक्स्यू ने दावा किया कि ‘कोई सिनेमाई अतिशयोक्ति इतिहास नहीं बदल सकती या पीएलए की संप्रभुता रक्षा को कमजोर नहीं कर सकती।’ चीन का मानना है कि फिल्म दोनों देशों के सुधरते संबंधों को नुकसान पहुंचाएगी। सोशल मीडिया पर चीनी यूजर्स ने कॉस्ट्यूम, हेयरस्टाइल और ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ से कॉपी के आरोप लगाए।
भारतीय पक्ष का जवाब
भारतीय सरकार ने साफ कहा कि फिल्ममेकर्स को पूर्ण रचनात्मक स्वतंत्रता है, कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। फिल्ममेकर अशोके पंडित ने कहा, ‘यह चीन की असुरक्षा है, हमारी सेना की बहादुरी को उजागर करना स्वाभाविक है।’ विशेषज्ञों का मानना है कि यह सांस्कृतिक युद्ध का हिस्सा है, जहां चीन नैरेटिव कंट्रोल करना चाहता है। URI जैसी फिल्मों की तरह यह राष्ट्रवाद को बढ़ावा देगी।
गलवान संघर्ष का संक्षिप्त इतिहास
मई 2020 से लद्दाख में तनाव बढ़ा, 15 जून को गलवान में डंडों-कुर्सियों से झड़प हुई। भारत ने चीन की घुसपैठ रोकी, शहीदों में कर्नल संतोष बाबू शामिल। चीन ने हताहत कम बताए, लेकिन सैटेलाइट इमेजेस ने झूठ उजागर किया। डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया जारी है।
भविष्य की संभावनाएं
फिल्म रिलीज से पहले ही वैश्विक चर्चा में है। चीन बॉलीवुड फिल्मों पर बैन या सेंसरशिप की मांग कर सकता है। भारत में यह सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में देखी जा रही। विवाद से टिकटिंग बूस्ट मिल सकता है।


