नई दिल्ली। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने कहा है कि” हम न आत्मसमर्पण करेंगे और न ही अपनी एक भी इंच जमीन छोड़ेंगे”। इस बयान से रूस के मंसूबे कमजोर होने की बजाय और ज्यादा ज्वलंत हो गए हैं। जैसे ही यूक्रेन के विदेश मंत्री ने ऐसा बोला तुरंत रूस से तरह- तरह की प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो गई।
पुतिन ने हमलावर अंदाज़ में तीखा बयान देते हुए कहा कि मैंने अपने देश के रक्षा मंत्री समेत रूसी सशस्त्र बलों के प्रमुखों को रूसी परमाणु प्रतिरोधी बलों को अलर्ट रहने की हिदायत दे दी है।जानकारी के मुताबिक ये एक तरह से परमाणु हमला करने की धमकी प्रतीत हो रही है। इसी के साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिम पर उनके देश के खिलाफ एकजुट होकर विरोधी तेवर अपनाने का आरोप लगाया है।
इस आपसी तनातनी के बीच राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा,कि “मैं इस बैठक के परिणाम में बिलकुल विश्वास नहीं करता हूं, लेकिन उन्हें प्रयास करने दिया जाये।” जिससे कि यूक्रने वासियों में ये मैसेज न जाये कि उनके राष्ट्रपति ने देश के अमन चैन के लिए कठोर निर्णय नहीं लिया ।
इसी कड़ी में रूस के खिलाफ कई यूरोपी देशों सामने आकर विरोध शुरू कर दिया. इसी के तहत यूक्रेन पर हमला करने के लिए अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने रूस पर तगड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने कहा कि ये सारे प्रतिबंध ईरान पर लगाई गई पाबंदियों के समान हैं और इससे रूस की बैंकिंग व्यवस्था वैश्विक समुदाय से पूरी तरह से अलग हो जाएगी साथ ही। उन्होंने ये भी कहा, “हमने उनके 80 प्रतिशत बैंकों और वित्तीय क्षेत्र पर प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और रूसी सरकार को न केवल व्यवसाय करने में काफी दिक्कतों का सामना करेगा यही एक बेहतर विकल्प है जिससे की रूस की अराजकता वाली नीव को पूरी तरह से ध्वस्त किया जा सकता है।
(निशांत दिक्षित)