पाकिस्तान में एक नाटकीय घटनाक्रम में इमरान खान सरकार ने अविश्वास प्रस्ताव के बीच नेशलन असेंबली को भंग कर दिया। इसके बाद अब पाकिस्तान में 90 दिन के भीतर फिर से आम चुनाव कराए जाएंगे। वहीं नेशनल असेंबली को भंग किए जाने को लेकर विपक्ष इमरान खाने के खिलाफ हमलावर है और इमरान खान पर जनता से किए वादे और भरोसे को तोड़ने का गंभीर आरोप लगाया है।
आखिर विपक्ष ने जो इमरान सरकार पर आरोप लगाया है। उसमे कितना दम है। अगर इस पर एक नजर डालें तो पता चलता है कि इमरान खान चुनाव के दौरान पाकिस्तानी अवाम से एक नया पाकिस्तान बनाने का वादा किया था और इसको लेकर इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ ने अपने मेनिफेस्टो में राष्ट्रीय और क्षेत्रिय दोनों तरह के 51 मुद्दे शामिल किए थे। इसके बाद 2018 में इमरान खान अपने लोक-लुभाने वादे के दम पर चुनाव जीत कर पाकिस्तान की सत्ता में आए, लेकिन इस बीच इमरान सरकार ने अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में महज दो वादा ही पूरा कर सका है।
इमरान खान ने जो अपने वादे पूरे किए हैं, उसमें विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी नागरिकों को वोटिंग का अधिकार है। वहीं जो बड़े वादे इमरान खान पूरा करना चाहते थे, उसमें उन्हें कोई खास कामयाबी नहीं मिली है।
‘साउथ पंजाब प्रोविंस’ की कल्पना को साकार करने का वादा अधूरा ही रह गया। कराची में पीने की पानी का संकट का मुद्दा का भी कमोबेश वही हाल है। इमरान खान की गरीबी मिटाओ मुहिम भी कोई रंग नहीं ला पाई है। इसके उल्टे पाकिस्तान में गरीबी बढ़ ही गया है। बेहतर स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने का इमरान खान का संकल्प पूरी तरह निर्रथक साबित हुआ है। पूरे पाकिस्तान में एक शिक्षा नीति लागू करने का संकल्पना भी कोई खास असर नहीं दिखा पाया है। शायद, इसी वजह से इन मुद्दों के अधार पर विपक्ष इमरान सरकार पर वादे तोड़ने का आरोप लगा रही है।
(वंशिका सिंह)