Agra news: हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल,शाहजहां के उर्स में हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चढ़ाई

शाहजहां के उर्स में हर साल हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाती है, जो हिंदू-मुस्लिम किनएकता और प्यार का मिसाल है। 43 साल पहले शुरू हुई ये चादर अब 1640 मीटर लंबी हो चुकी है। उर्स के दौरान लोग देश की तरक्की और सुकून की दुआ करते हैं।

Shahjahan

Agra news: शाहजहां का उर्स और उसकी खास परंपरा है। हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाना जो कि इस साल भी लोगों के दिलों में प्यार और एकता का संदेश दे रही है। ये चादर हर साल ताजमहल में उर्स के दौरान चढ़ाई जाती है, और ये ना सिर्फ हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल है, बल्कि देश में आपसी समझ को भी सिखाती है।

चादरपोशी की शुरुआत

लगभग 43 साल पहले ताहिरुद्दीन ताहिर ने इस चादरपोशी की परंपरा की शुरुआत की थी। शुरुआत में यह चादर सिर्फ 100 मीटर लंबी थी, लेकिन अब यह बढ़कर 1640 मीटर हो चुकी है। यह चादर ताजमहल के दक्षिण गेट स्थित हनुमानजी के मंदिर से शुरू होती है, और सभी धर्मों के लोग मिलकर इसे तैयार करते हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी मिलकर इस चादर को बनाते हैं, और इस तरह यह देश की विविधता और एकता की मिसाल बन गई है।

हर साल बढ़ती है चादर की लंबाई

शाहजहां के उर्स के दौरान चादर का सिलाई का काम 20 25 दिन पहले शुरू होता है। लोग अपनी-अपनी मन्नत पूरी होने पर अलग-अलग रंग के कपड़े लाते हैं, जिन्हें फिर चादर में जोड़कर सुंदर और रंग-बिरंगा बनाया जाता है। इस साल की चादर पिछले साल से 80 मीटर लंबी है, और इसे तैयार करने में सभी धर्मों के लोग शामिल होते हैं, जिससे यह चादर हर साल एक नई ऊँचाई तक पहुँचती है।

शाहजहां के उर्स की खास बात

28 जनवरी को जब चादरपोशी की रस्म होगी, तब सभी लोग देश की तरक्की और सांप्रदायिक सद्भाव की दुआ करेंगे। इस दिन प्रमुख अतिथि सूफी अंसारी मिया लियाकती इस खास कार्यक्रम में शामिल होंगे। उर्स के दौरान 27 जनवरी को शाहजहां और मुमताज की कब्रों पर संदल चढ़ाया जाएगा और मिलाद पढ़ा जाएगा। साथ ही ताजमहल में कव्वाली का आयोजन भी होगा।

ताजमहल में क्या नहीं लाया जा सकता

उर्स के दौरान ताजमहल में कुछ चीजें लाने पर पाबंदी है, जैसे सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, तंबाकू, पान मसाला और बड़े झंडे या पोस्टर। इन बातों का पालन करना जरूरी है ताकि उर्स की रस्में शांति से पूरी हो सकें।

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