AIIMS सर्वे: भारत में प्रति 65 हजार लोगों पर सिर्फ एक नेत्र विशेषज्ञ, ग्रामीण क्षेत्रों में भारी कमी

AIIMS दिल्ली के राष्ट्रीय सर्वे में सामने आया नेत्र सेवाओं का असमान वितरण और विशेषज्ञों की कमी।

AIMS Delhi AIIMS सर्वे: AIIMS दिल्ली द्वारा किए गए एक राष्ट्रीय सर्वे में कहा गया है कि भारत में प्रति मिलियन जनसंख्या पर 15 नेत्र विशेषज्ञ हैं, यानी एक नेत्र विशेषज्ञ पर 65,221 लोग। इस सर्वे में शामिल 7,901 आंखों के देखभाल संस्थानों में अधिकांश निजी थे जबकि सरकारी और NGO संस्थान केवल 15.6% और 13.8% थे।

सर्वे का नेतृत्व डॉ. प्रवीण वशिस्ट ने किया, जो कम्युनिटी Ophthalmology के प्रोफेसर और इंचार्ज हैं। इन्होने भारत में सेकेंडरी और टर्शियरी स्तर की नेत्र सेवाओं में मानव संसाधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति, वितरण और अंतर का आकलन किया और ‘विजन 2020’ के लक्ष्य की प्रगति का मूल्यांकन किया।

डॉ. वशिस्ट के अनुसार, भारत में नेत्र अस्पतालों का एक बड़ा नेटवर्क है, लेकिन विशेषज्ञों और संसाधनों का वितरण असमान है। भारत ने नेत्र देखभाल सेवाओं का विस्तार किया है, लेकिन कमजोर और ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बड़े अंतर हैं।

सर्वे में पाया गया कि भारत में 20,944 नेत्र विशेषज्ञ और 17,849 ऑप्टोमेट्रिस्ट सेकेंडरी और टर्शियरी स्तर पर काम कर रहे हैं। ऑप्टोमेट्रिस्ट-से-नेत्र विशेषज्ञ अनुपात 0.85 है, जो विज़न 2020 के लक्ष्य से कम है।

राज्यों में बहुत अंतर है — उदाहरण के लिए, पुडुचेरी में 127 प्रति मिलियन और लद्दाख में केवल 2 प्रति मिलियन।

इन्फ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी कई अंतर हैं। केवल 40.5% संस्थान 24 घंटे इमरजेंसी सेवा देते हैं। 87% में ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन केवल 5.7% में Eye Bank और टिशू प्रोसेसिंग की सुविधा है। प्रति मिलियन जनसंख्या 74 बिस्तर उपलब्ध हैं, लेकिन यह भी असमान रूप से वितरित हैं।

अधिकांश संस्थान कैटरेक्ट (91.5%) और ग्लॉकोमा (71.5%) की सेवाएं देते हैं, लेकिन विशेष सेवाओं तक पहुँच सीमित है। बच्चों की सर्जरी केवल 2,180 केंद्रों में उपलब्ध है, यानी प्रति 6.3 लाख लोगों पर सिर्फ 1 केंद्र। स्ट्रैबिज़्म (आंखों का टेढ़ापन) की सेवाएं 42% संस्थानों में हैं।

सर्वे में यह भी कहा गया कि नेत्र विशेषज्ञों और ऑप्टोमेट्रिस्टों की आवश्यकता और उपलब्धता में बड़े क्षेत्रीय अंतर हैं। उत्तर और पूर्वी राज्य जैसे बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, असम और पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा कमी है। दिल्ली, पुडुचेरी, गोवा और महाराष्ट्र में लक्ष्य पूरे या उससे अधिक हैं।

डॉ. वशिस्ट का कहना है कि सबसे जरूरी है मानव संसाधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना, खासकर बच्चों और इमरजेंसी सेवाओं में। इसके लिए सरकार, NGO और निजी संस्थानों के बीच सहयोग और बेहतर योजना बनाना ज़रूरी है।

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