Delhi Air Pollution: दिल्ली और कई अन्य महानगरों में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण जनता की जीने की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। स्वच्छ हवा की मांग को लेकर हो रहे प्रदर्शन अक्सर पुलिस की कड़ी कार्रवाई और गिरफ्तारी में बदल जाते हैं, जिससे प्रदूषण और मानवाधिकारों के बीच टकराव की स्थिति बनती है।
प्रदूषण ने न केवल सांस लेने की समस्या पैदा की है बल्कि फेफड़ों सहित अनेक गंभीर बीमारियां भी बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वायु में विभिन्न विषैले पदार्थ जैसे PM2.5, PM10, NO2 और कार्बन मोनोऑक्साइड शरीर के लिए अत्यंत हानिकारक हैं, जो सांस लेने वाले अंगों पर दुष्प्रभाव डालते हैं।
जनता के साथ क्रिमनल ट्रीटमेंट
जनता जब इस सुरक्षा की मांग करती है, तो कई बार उन्हें ‘क्रिमिनल’ की तरह ट्रीट किया जाता है। प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और विरोध को दबाने के प्रयास नागरिक अधिकारों के लिए खतरा हैं। इससे एक स्वस्थ लोकतंत्र की नींव कमजोर होती है, जबकि प्रदूषण नियंत्रण के लिए लोगों की आवाज़ को बढ़ावा देना चाहिए।
सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए और जनता की चिंताओं को ध्यान में रखे। स्वच्छ वायु का अधिकार हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसे सुनिश्चित करना चाहिए। बेहतर सार्वजनिक परिवहन, इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन, औद्योगिक उत्सर्जन नियंत्रण और सख्त कानून बनाने पर जोर देने की जरूरत है।
हमें एक ऐसे समाज की आवश्यकता है जहां प्रदूषण से संघर्ष करते हुए नागरिकों को सुनवाई मिले और उनकी सुरक्षा हो, न कि उन पर जुल्म। तभी हम “बिना फेफड़ों के कैसे जिएगी जनता” जैसे सवालों का कोई संतोषजनक जवाब दे पाएंगे।
