इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में बहुत जल्द ही पाकिस्तान की ओर से किए जाने वाले छद्म युद्ध और भारत की ओर से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक समेत कई तमाम नए मुद्दों की पढ़ाई होगी. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया जा रहा है. आज के दौर में युद्ध के वक्त और देश की सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया की क्या भूमिका है, छात्रों को यह भी पढ़ाया जाएगा.
इस विभाग में होगी पढ़ाई
इन विषयों की पढ़ाई इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज विभाग में होगी, जिसमें छात्रों को पुलवामा हमलों की तरह पाकिस्तान द्वारा किए जाने वाले छद्म युद्ध और भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक समेत तमाम मुद्दों को पढ़ाई होगी. डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर भारतीय दास ने बताया कि आज के दौर में युद्ध के वक्त और देश की सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया की भूमिका के बारे में भी छात्रों को पढ़ाया जाएगा. इसके अलावा त्रेतायुग से लेकर अब तक हुए युद्धों में देश के जवानों को मिली जीत की गाथा भी छात्रों को पढ़ाई जाएगी. नए पाठ्यक्रम के तहत कई फाउंडेशन और ऐच्छिक विषय भी शामिल किए जाएंगे.
अंग्रेजों के खिलाफ किए गए संघर्षों को भी पढ़ेंगे छात्र
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी को देश की यूनिवर्सिटीज़ में डिफेंस स्टडीज के बड़े सेंटर के तौर पर जाना जाता है. यहां से डिग्री लेने वाले तमाम छात्र हर साल सेना में भर्ती होते हैं. यूनिवर्सिटी ने अपने यहां के कोर्स को अब और रोजगार परक बनाने का फैसला किया है. इसके लिए स्नातक और परास्नातक कोर्स के पाठ्यक्रम में बड़ा बदलाव किया गया है. यहां के छात्र अब रामायण और महाभारत कालीन युद्ध की नीतियों,हथियारों, सिद्धांतों और दूसरी जानकारियों के बारे में तो पढ़ाई करेंगे ही, इसके साथ ही मुगलकालीन और अंग्रेजो के खिलाफ हुए संघर्षों को भी पढ़ेंगे. इसके साथ ही छात्रों को सर्जिकल स्ट्राइक और प्रॉक्सी वार के बारे में भी पढ़ाया जाएगा.
डिफेंस स्टडीज की एचओडी ने दी यह जानकारी
इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के डिफेंस स्टडीज एंड स्ट्रैटेजिकल साइंस डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ. भारती दास के मुताबिक दूसरे विश्वयुद्ध के बाद के युद्ध को लेकर नियम अब बदल गए हैं. कोई भी देश अब दूसरे मुल्क के खिलाफ सीधे तौर पर हमला नहीं कर सकता. कभी आतंकवाद के नाम पर तो कभी दूसरे नाम पर अब छद्म युद्ध लड़ा जाता है. कारगिल युद्ध और सर्जिकल स्ट्राइक इन्हीं में शामिल है. इसके जरिए जहां देश अपनी ताकत दिखाते हैं, वहीं अपने यहां के नागरिकों को सुरक्षित होने का भरोसा भी दिलाते हैं. छात्रों को इन नए तौर-तरीकों से रूबरू होना बेहद जरूरी है. इससे छात्रों को दोहरा फायदा होगा. एक तरफ जहां वह रोजगार पा सकेंगे, वहीं देश की सुरक्षा को लेकर पहले से ज्यादा जागरूक भी हो सकेंगे. उनके मुताबिक सर्जिकल स्ट्राइक के घटना भी एक तरह का अघोषित युद्ध ही है. हालांकि त्रेता युग में हनुमान जी ने रावण की सोने की लंका का जो दहन किया था, वह भी उस वक्त की सर्जिकल स्ट्राइक की तरह ही थी. यूनिवर्सिटी की एकेडमिक काउंसिल ने संशोधित पाठ्यक्रम को अपनी मंजूरी दे दी है.
70 फीसदी सेलेबस एक समान
प्रोफेसर भारतीय दास के मुताबिक सूबे के राज्य विश्वविद्यालयों में 70 फीसदी पाठ्यक्रम एक समान होंगे, जबकि 30 फीसदी पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय स्वयं तैयार कर रहे हैं. उन्होंने बताया है कि पाठ्यक्रम तैयार कर शासन को भेज दिया गया है. इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी में शैक्षिक सत्र 2022-23 से लागू होने वाली 4 वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम को तैयार कर बोर्ड आफ स्टडीज को भेजा गया है.