Ankit Chauhan Murder Case: क्या था अंकित चौहान हत्याकांड,10साल बाद मिला इंसाफ,नोएडा से लेकर लखनऊ तक मचा था बवाल

साल 2015 में अंकित चौहान की हत्या ने पूरे नोएडा और यूपी की राजनीति को हिला दिया था। लंबे संघर्ष के बाद, 10 साल बाद सीबीआई कोर्ट ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाकर परिवार को न्याय दिलाया।

Ankit Chauhan murder case CBI court verdict

Ankit Chauhan Murder Case: नोएडा में हुए अंकित चौहान मर्डर केस में आखिरकार 10 साल बाद बड़ा फैसला आया है। 13 अक्टूबर 2025 को सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर अपना निर्णय सुनाया। कोर्ट ने मुख्य आरोपी शशांक यादव को आजीवन कारावास के साथ 70,000 रुपये का जुर्माना और उसके साथी मनोज कुमार को उम्रकैद के साथ 50,000 रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया। इस फैसले ने उस परिवार को राहत दी जिसने एक दशक से अपने बेटे के लिए न्याय की उम्मीद नहीं छोड़ी थी

कौन था अंकित चौहान और क्यों हुई थी हत्या?

अंकित चौहान नोएडा में टैक्सी चलाने का काम करता था और अपने परिवार का इकलौता सहारा था। फरवरी 2015 में उसकी रहस्यमयी परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी। बताया जाता है कि अंकित की किसी विवाद में कुछ लोगों से कहा-सुनी हुई थी, जिसके बाद उसे बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया। उसकी लाश मिलने के बाद पूरे नोएडा में सनसनी फैल गई थी। यह घटना इतनी बड़ी थी कि सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इस पर चर्चा होने लगी।

पुलिस जांच में लापरवाही के आरोप

हत्या के बाद पुलिस की जांच पर गंभीर सवाल खड़े हुए। तत्कालीन आईजी आलोक शर्मा और एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह के आदेश पर एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और थाना पुलिस की कई टीमें इस केस की जांच में जुटीं, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी कोई ठोस सबूत हाथ नहीं लगा।

अंकित की मां पुष्पा चौहान ने पुलिस की निष्क्रियता पर खुलकर नाराज़गी जताई। फरवरी 2016 में उन्होंने नोएडा के एसएसपी दफ्तर पहुंचकर आत्मदाह की धमकी तक दे डाली। उनका आरोप था कि पुलिस जानबूझकर केस को दबा रही है और दोषियों को बचाने की कोशिश कर रही है। उस समय यह मामला मीडिया में भी खूब सुर्खियों में आया था।

सीबीआई की जांच से खुला सच

जब स्थानीय पुलिस कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर सकी, तब मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई की टीम ने केस की बारीकी से जांच की, सबूत जुटाए और गवाहों से पूछताछ की। धीरे-धीरे सच्चाई सामने आई और अदालत में ठोस साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों की भूमिका साबित हुई। सीबीआई की मेहनत से आखिरकार दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली।

परिवार का संघर्ष और उम्मीद

अंकित चौहान के परिवार के लिए यह दस साल किसी यातना से कम नहीं रहे। उन्होंने एक-एक दरवाज़े पर न्याय की गुहार लगाई। अदालतों के चक्कर लगाते हुए उन्होंने कई बार हार मानने की सोची, लेकिन बेटे की याद और न्याय की उम्मीद ने उन्हें टूटने नहीं दिया। उनकी माँ पुष्पा चौहान ने हर सुनवाई में कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और आखिरकार उन्हें वह दिन देखने को मिला जब अदालत ने न्याय दिया।

देर से सही,पर मिला न्याय

अंकित चौहान हत्याकांड केवल एक हत्या की कहानी नहीं, बल्कि हिम्मत और सच्चाई की जीत की मिसाल है। इस केस ने दिखाया कि चाहे न्याय देर से मिले, लेकिन सच को रोका नहीं जा सकता। अंकित के परिवार के लिए यह फैसला राहत और सुकून लेकर आया। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर इंसान हिम्मत न हारे, तो न्याय ज़रूर मिलता है।

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