राजनीतिक करियर की शुरुआत
भाजपा में शामिल होने के बाद सैनी ने जिला युवा मोर्चा में महासचिव और बाद में जिला अध्यक्ष का पद संभाला। इसके बाद पार्टी ने उनकी काबिलियत को देखते हुए उन्हें हरियाणा किसान मोर्चा के महासचिव का जिम्मा सौंपा। संघ के साथ भी मिलकर काम करते हुए उन्होंने संगठन को मजबूत किया और किसानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया।
पहला चुनाव और चुनौतियां
2009 में नायब सैनी ने पहली बार नारायणगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। हालांकि, उन्हें इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय अपनी मेहनत और पार्टी में अपनी जिम्मेदारियों को और अधिक निष्ठा से निभाया। 2012 में पार्टी ने उन्हें अंबाला में जिला अध्यक्ष का पद सौंपा, जहां उन्होंने संगठन को मजबूत करने का काम किया।
2014 में मिली पहली जीत
सैनी की मेहनत रंग लाई, और 2014 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने फिर से नारायणगढ़ सीट से चुनाव लड़ा। इस बार उन्हें जीत हासिल हुई और वे विधानसभा पहुंचे। उनकी जीत ने हरियाणा की राजनीति में उनकी स्थिति को और भी मजबूत किया।
मंत्री बनने का सफर
2016 में नायब सैनी को हरियाणा सरकार में श्रम और रोजगार मंत्री नियुक्त किया गया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने श्रमिकों और बेरोजगारों के लिए कई अहम कदम उठाए। उनकी कार्यशैली ने उन्हें राज्य के प्रमुख नेताओं में शुमार कर दिया।
मुख्यमंत्री के रूप में नई भूमिका
2024 में मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद, भाजपा ने नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया। मुख्यमंत्री बनने के बाद सैनी ने हरियाणा के विकास और जनता की समस्याओं को सुलझाने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की। उन्होंने किसानों और युवाओं के लिए विशेष योजनाएं लागू कीं, जिससे उनकी लोकप्रियता में और इजाफा हुआ। नायब सिंह सैनी का राजनीतिक सफर संघर्ष और संकल्प का प्रतीक है। अंबाला से लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री बनने तक उन्होंने हर जिम्मेदारी को निष्ठा और ईमानदारी से निभाया है। उनके नेतृत्व में हरियाणा की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत हुई है।