UP By Election : उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में अखिलेश यादव का पीडीए फॉर्मूला योगी आदित्यनाथ के नए नारे ‘बांटोगे तो काटोगे’ के सामने पूरी तरह फेल हो गया है। योगी आदित्यनाथ का ये नारा झारखंड में भले ही बेअसर रहा हो, लेकिन महाराष्ट्र में इसने कमाल कर दिया है। देखा जाए तो यूपी में अखिलेश यादव के साथ भी वही हुआ है जो महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ हुआ था- लोकसभा के नतीजों ने अखिलेश यादव को अति आत्मविश्वास से भर दिया था।
योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार के लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया था- हालांकि, उपचुनावों में हिसाब बराबर हो गया है। 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने करहल, सीसामऊ, कटेहरी और कुंदरकी सीटों पर जीत दर्ज की थी। अखिलेश यादव खुद करहल से चुनाव जीते थे, लेकिन बाद में वो कन्नौज से लोकसभा पहुंचे।
मीरापुर विधानसभा सीट जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी के पास थी, जिसने समाजवादी पार्टी छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया है। बीजेपी ने 2022 में फूलपुर, गाजियाबाद, मझावन और खैर सीटों पर कब्जा किया था। अखिलेश यादव ने सभी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और कांग्रेस ने उनका समर्थन किया था। कांग्रेस ने स्वार्थवश उनका समर्थन नहीं किया, बल्कि कम सीटें मिलने से नाराजगी के चलते यह कदम उठाया – खास बात यह रही कि अखिलेश यादव ने भी हरियाणा चुनाव में तवज्जो न मिलने से नाराजगी के चलते यह कदम उठाया था। लेकिन, नतीजे आने के बाद ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस का समर्थन न मिलना अखिलेश यादव को भारी पड़ गया है। अगर उन्हें पहले ही समझ आ जाता कि ‘बांटेंगे तो बंटेंगे’ तो यह स्थिति टल सकती थी।
क्या कांग्रेस का न होना सपा के लिए नुकसानदेह था?
अखिलेश यादव और राहुल गांधी का गठबंधन 2024 के लोकसभा चुनाव में पहली बार फायदे का सौदा साबित हुआ। चुनाव नतीजों ने यह भी साफ कर दिया कि अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ें और एक-दूसरे के वोटों का ट्रांसफर सुनिश्चित करने में कामयाब हो जाएं तो सफलता जरूर मिल सकती है। अगर समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव के लिए ‘बंटेंगे तो कट जाएंगे’ संदेश है तो महाराष्ट्र चुनाव के नतीजे कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लिए भी बड़ी नसीहत दे रहे हैं- और इंडिया ब्लॉक के मामले में राहुल गांधी को भी यह समझ लेना चाहिए कि ‘हम साथ हैं तो सुरक्षित रहेंगे’।
मुस्लिम वोटरों से ज्यादा भरोसेमंद परिवार
मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट का नतीजा भी कुछ खास इशारा कर रहा है। योगी आदित्यनाथ के नारे ‘बंटेंगे तो कट जाएंगे’ का कुंदरकी में ऐसा असर हुआ है कि तीन दशक बाद बीजेपी हार के दर्द से उबर पाई है। बीजेपी उम्मीदवार ठाकुर रामवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी के हाजी रिजवान को हराया है। हैरानी की बात यह है कि यह सब तब संभव हो पाया है जब कुंदरकी में करीब 64 फीसदी मुस्लिम आबादी है। अब लगता है कि अगर कांग्रेस उनके साथ होती तो समाजवादी पार्टी की हालत ऐसी नहीं होती।
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करहल और सीसामऊ के नतीजों ने किसी तरह इज्जत बचाने की कोशिश की है। कुंदरकी जरूर अपवाद है, लेकिन समाजवादी पार्टी के लिए परिवार और मुस्लिम वोट ही काम आए हैं। अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई करहल विधानसभा सीट को तेज प्रताप यादव ने परिवार को तोहफा दिया है। उपचुनाव के लिए प्रचार खत्म होने से ठीक पहले अखिलेश यादव ने सोशल साइट एक्स पर एक लंबी पोस्ट में लिखा था, ‘उत्तर प्रदेश की प्यारी जनता और मतदाताओं, उत्तर प्रदेश आजादी के बाद का सबसे कठिन उपचुनाव देखने जा रहा है… ये उपचुनाव नहीं, बल्कि रुख चुनाव हैं, जो उत्तर प्रदेश का भविष्य तय करेंगे।’