Ayodhya Ram Temple flag hosting ceremony: अयोध्या में एक बार फिर भव्यता और आस्था का संगम दिखाई देने वाला है। श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पूर्ण निर्माण का प्रतीक बनकर अब एक ऐतिहासिक ध्वजारोहण समारोह आयोजित किया जाएगा। यह आयोजन उतना ही शानदार और पवित्र होगा जितना प्राण प्रतिष्ठा का अवसर था। पांच दिवसीय यह कार्यक्रम 21 नवंबर से 25 नवंबर तक चलेगा और अंतिम दिन मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराया जाएगा।
राजनीतिक और धार्मिक महत्व का संगम
अयोध्या में राम मंदिर के शिखर पर ध्वज फहराने की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मुख्य अतिथि होंगे। बताया जा रहा है कि 25 नवंबर को वे दोनों मिलकर मंदिर के ऊपरी शिखर पर 22 फीट लंबा और 11 फीट चौड़ा भगवा ध्वज फहराएंगे। यह आयोजन बेहद खास होने वाला है क्योंकि पहली बार राम मंदिर के मुख्य शिखर पर इतना बड़ा ध्वज फहराया जाएगा। मंदिर परिसर में तैयारियां जोरों पर हैं। सजावट, सुरक्षा और व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन पूरी तरह जुटा हुआ है।
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में इस कार्यक्रम को लेकर काफी उत्साह देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि ध्वजारोहण के दिन अयोध्या नगरी दीपों और जयघोषों से गूंज उठेगी।
25 नवंबर का दिन सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी बेहद अहम होगा। इस मौके पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और कई केंद्रीय मंत्री अयोध्या पहुंचेंगे। यह आयोजन पार्टी के नए राष्ट्रीय अभियान की शुरुआत का भी संकेत देगा। सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर पर विश्व के सबसे बड़े स्काउट और गाइड जम्बूरी के प्रतिभागियों को आमंत्रित करेंगे। इसमें करीब 35,000 कैडेट हिस्सा लेंगे।
प्रधानमंत्री इस दौरान “विकसित उत्तर प्रदेश अभियान” की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे, जिसके लिए जनता से अब तक 5 लाख से अधिक सुझाव प्राप्त हुए हैं। साथ ही, वे जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का भी निरीक्षण करेंगे, जो प्रदेश की विकास यात्रा में एक अहम कदम है।
ध्वज पर होंगे रामायण के प्रतीक
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि ने बताया कि ध्वज पर वाल्मीकि रामायण में वर्णित सूर्य, ओम और कोविदार वृक्ष के प्रतीक बनाए जाएंगे। यह भगवा ध्वज 161 फुट ऊंचे मंदिर शिखर पर 42 फुट ऊंचे लोहे के खंभे पर लगाया जाएगा। भगवा रंग शक्ति, शौर्य और अध्यात्म का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इसे मंदिर के शिखर पर फहराने का विशेष धार्मिक महत्व है।
10 हजार मेहमानों की भव्य उपस्थिति
ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा के अनुसार, इस समारोह में मेहमानों की संख्या बढ़ाकर 10,000 कर दी गई है। पहले यह संख्या 8,000 तय थी। यह आयोजन पूरे मंदिर परिसर में किया जाएगा। श्रीराम मंदिर के साथ-साथ भगवान शिव, गणेश, सूर्य, हनुमान, माता भगवती और माता अन्नपूर्णा के मंदिरों पर भी ध्वज फहराया जाएगा। इस दौरान सभी मंदिरों में विशेष पूजा, हवन और अनुष्ठान संपन्न होंगे।
मजबूत और आधुनिक ध्वज-स्तंभ
ध्वज को इतना मजबूत बनाया गया है कि वह 60 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज हवाओं और आंधी-तूफान को भी झेल सकेगा। इसे 360 डिग्री घूमने वाले बॉल-बेयरिंग सिस्टम पर लगाया जाएगा, ताकि किसी दिशा से हवा चले, ध्वज सही स्थिति में फहराता रहे। ध्वज के कपड़े की गुणवत्ता और टिकाऊपन की जांच की जा रही है। 28 अक्टूबर को भवन निर्माण समिति की बैठक में इसकी टेस्ट रिपोर्ट पेश की जाएगी, जिसके बाद कपड़े का अंतिम चयन किया जाएगा।
धार्मिक अनुष्ठान और आचार्य मंडल
अयोध्या और काशी के प्रतिष्ठित आचार्य इस पूरे कार्यक्रम के धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराएंगे। पांच दिनों तक मंदिर परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार, हवन और आरती के साथ माहौल पूर्ण रूप से धार्मिक बनेगा। राम भक्तों के लिए यह आयोजन एक बार फिर प्रभु श्रीराम की भव्य नगरी की झलक दिखाएगा।







