‘बड़े लोगों का छोटी गली में रहने वाला यह खादिम खैर मकदम करता है’, अखिलेश पर आज़म का सियासी तंज

रामपुर: जेल से रिहाई और इलाज के बाद लौटे आज़म ख़ान ने अखिलेश यादव की प्रस्तावित मुलाक़ात पर तंज कसा। कहा, “बड़े लोगों का छोटी गली में रहने वाला खादिम खैर मकदम करता है।” बयान ने सपा में हलचल बढ़ाई।

Azam Khan statement: उत्तर प्रदेश की सियासत में हर बयान चुनावी समीकरण बदलने का दम रखता है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और राष्ट्रीय महासचिव आज़म ख़ान, सीतापुर जेल से रिहाई और दिल्ली में इलाज के बाद जब रामपुर लौटे तो उन्होंने चुप्पी तोड़ी। खबरें हैं कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को आज़म से मिलने रामपुर जाएंगे। इसी पर तंज कसते हुए आज़म ने कहा, “बड़े लोगों का छोटी गली में रहने वाला यह खादिम खैर मकदम करता है।” सियासी जानकारों का कहना है कि यह बयान सपा के भीतर बढ़ती दूरियों और आने वाले चुनावी समीकरणों पर सीधा वार है। साथ ही उन्होंने धीमा ज़हर दिए जाने के दावों को भी सिरे से खारिज किया।

अखिलेश से मुलाक़ात पर तंज, सियासत में हलचल

जौहर यूनिवर्सिटी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आज़म ने कहा कि उनका घर बेहद साधारण है, जहां कई बार पानी भर जाता है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “हम तो छोटी सी गली में रहते हैं। बड़े लोग आएंगे तो अच्छा लगेगा।” चुनावी मौसम में उनका यह तंज सीधे अखिलेश यादव पर निशाना माना जा रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह बयान सपा में पुराने नेताओं और नई पीढ़ी के बीच दूरी का प्रतीक है।

धीमे ज़हर की चर्चा पर सफ़ाई

पूर्व राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी ने हाल ही में दावा किया था कि जेल में बंद रहने के दौरान Azam Khan ने खुद को मुख़्तार अंसारी की तरह धीमा ज़हर दिए जाने का शक जताया था। लेकिन Azam Khan ने इस दावे को निराधार बताया। उन्होंने कहा, “जब टीवी पर मुख़्तार अंसारी के इंतकाल और धीमे ज़हर की ख़बर आई, तब मैंने भी अपने खाने को लेकर सतर्कता बढ़ाई थी। इससे ज़्यादा कुछ नहीं।” उनके मुताबिक जेल में हालात इतने मुश्किल थे कि वे दोपहर में सिर्फ एक पतली रोटी और शाम को आधी रोटी खाकर गुज़ारा करते थे।

सपा में समीकरणों की नई तस्वीर

Azam Khan के बयान ने सपा की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। एक ओर अखिलेश यादव की रामपुर यात्रा पार्टी में एकजुटता का संदेश देने की कोशिश है, तो दूसरी ओर आज़म का यह व्यंग्य उनके बीच बढ़ती दूरी को उजागर करता है। जानकार मानते हैं कि मुस्लिम वोटबैंक पर सपा की पकड़ मजबूत रखने के लिए अखिलेश और आज़म के रिश्तों का बेहतर होना ज़रूरी है। अगर दोनों नेताओं के बीच खाई गहरी हुई तो विपक्ष को इसका सीधा फ़ायदा मिल सकता है।

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