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अखिलेश-आजम की मुलाकात के बाद एक्टिव हुए ‘आजमवादी’ कैंडीडेट, इन धुरंधरों के साथ रुचिवीरा की बेटी भी हुई सक्रिय

दरअसल, आजम खां का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा निर्णायक रहा है। रामपुर के साथ-साथ मुरादाबाद और नजदीकी क्षेत्रों में उनकी सियासी छाया लंबे समय से कायम है। अब जबकि वह जेल से बाहर हैं और अखिलेश यादव के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल चुकी है। ऐसे में उनके करीबी नेताओं ने एक बार फिर अपने पुराने इलाकों में दौड़भाग शुरू कर दी है।

Vinod by Vinod
October 11, 2025
in Latest News, उत्तर प्रदेश
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लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश में हल्की सर्दी ने दस्तक दे दी है। लेकिन सुहानी ठंड में सूबे का सियासी पारा पूरे अपने सवाब पर है। अखिलेश यादव लाव-लश्कर के साथ राजनीति के दंगल में उतर चुके हैं। जीत के लिए सपाई शहर-शहर, गांव-गांव चौपाल सजा रहे हैं। ‘पीडीए’ की पाठशाला में जीत का मंत्र दिया जा रहा है। जेल के दरवाजे भी खुलने शुरू हो गए हैं। आजम खाल सलाखों से बाहर आ गए हैं। इरफान सोलंकी, अब्बास और उमर भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। सपा प्रमुख से मुलाकात के बाद आजम खान फुल एक्टिव हो गए हैं। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद पश्चिमी यूपी में सियासी हलचल तेज हो गई है। 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए ‘आजमवादी’ छाप वाले नेता सक्रिय हो गए हैं।

देश का सबसे बड़ा सियासी दंगल 2027 में उत्तर प्रदेश में लड़ा जाना है। ऐसे में बिहार से ज्यादा राजनीतिक दलों की नजर इसी सूबे पर है। बीजेपी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व मे ंमैदान पर उतर चुकी है। 9 बरस के बाद मायावती की भी विशाल रैली लखनऊ में हो चुकी है। बीएसपी चीफ की दहाड़ अब भी प्रदेश में सुनी जा सकती है। आजम खान भी बाहर आ गए हैं। कानपुर के इरफान सोलंकी भी खुली हवा में सांस ले रहे हैं। अंसारी परिवार भी गदगद है। अखिलेश से मिलने के बाद आजम खान भी खुश हैं।माना जा रहा है कि 2022 के मुकाबले 2027 के विधानसभा चुनावों के टिकट बंटवारे में आजम खां की राय को ज्यादा अहमियत मिलेगी। यही कारण है कि पार्टी में उनके करीबी नेताओं की सक्रियता बढ़ गई है।

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दरअसल, आजम खां का प्रभाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में हमेशा निर्णायक रहा है। रामपुर के साथ-साथ मुरादाबाद और नजदीकी क्षेत्रों में उनकी सियासी छाया लंबे समय से कायम है। अब जबकि वह जेल से बाहर हैं और अखिलेश यादव के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ पिघल चुकी है। ऐसे में उनके करीबी नेताओं ने एक बार फिर अपने पुराने इलाकों में दौड़भाग शुरू कर दी है। इसमें कई नेता शामिल हैं जिनका राजनीति में सीधा संबंध आजम खां या सांसद रुचिवीरा से है। रुचिवीरा का सपाई सफर भी आजम खां की छाप से अलग नहीं है। अब ये नेता आजम खान और रुचिवीरा से संपर्क साध रहे हैं। टिकट को लेकर ये दिग्गज दावेदार हाथ-पांव मारने भी शुरू कर दिए हैं। आजम खान से मिलने के लिए रुचिवीरा के दर पर जा रहे हैं। हालांकि अभी तक आजम खान खुलकर किसी भी नेता से नहीं मिले।

मुरादाबाद जिले की बात करें तो सबसे दिलचस्प कांठ विधानसभा सीट है। आजम खां के बेहद करीबी नेता यूसुफ मलिक की इस सीट पर दावेदारी है। कुछ समय में उनकी सक्रियता फिर काफी बढ़ी है। वह आजम खां के भरोसेमंद माने जाते हैं। यूसुफ मलिक ने 2017 में भी कांठ विधानसभा सीट से टिकट मांगा था। हालांकि कांठ से मौजूदा समय में कमाल अख्तर विधायक हैं जो मुलायम सिंह यादव के जमाने से सैफई परिवार के करीबी माने जाते हैं। पार्टी के भीतर चर्चा है कि अगर आजम की चली तो कमाल अख्तर को अपनी पुरानी सीट हसनपुर (अमरोहा) की ओर लौटना पड़ सकता है और यूसुफ मलिक कांठ विधासनभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। जब आजम खान जेल में थे, तब यूसुफ मलिक ने परिवार की खुलकर मदद की थी। आजम परिवार के साथ वह हरवक्त खड़े दिखाई दिए। यूसुफ मलिक के रिश्ते आजम के बेटे से भी अच्छे बताए जाते हैं।

वहीं बिलारी से मौजूदा विधायक मोहम्मद फहीम का भी नाम इस सूची में प्रमुख है। वह भी हाल ही में रामपुर जाकर आजम से मुलाकात कर चुके हैं। बिलारी से टिकट के लिए पुराने सपाई राजेश यादव समेत कुछ अन्य नेताओं की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है लेकिन सिटिंग विधायक होने के नाते फहीम के समर्थक भविष्य के लिए आश्वस्त हैं। आजम खेमे से ही डॉ. महमूद सैफी और शाने अली शानू भी टिकट की दौड़ में हैं। डॉ. सैफी पूर्व जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं और नगर या ठाकुरद्वारा सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। वहीं शाने अली शानू देहात सीट पर अपनी दावेदारी मजबूत करने में लगे हैं। यह दोनों नेता फिलहाल सपा सांसद रुचिवीरा के भी करीबी हैं। देहात विधानसभा क्षेत्र के मौजूदा विधायक नासिर कुरैशी और पूर्व विधायक उस्मानुल हक के परिवार की भी दावेदारी है।

वहीं ठाकुरद्वारा के मौजूदा विधायक नवाब जान भी अपनी सीट पर दोबारा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इसके अलावा नगर विधानसभा सीट से यूसुफ अंसारी एक बार फिर सियासी मैदान में उतरने को इच्छुक हैं। यूसुफ अंसारी 2012 में इसी सीट से विधायक रहे लेकिन 2017 और 2022 में मामूली अंतर से चुनाव हार गए थे। बावजूद इसके वह अखिलेश के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं। इनके अलावा खुद जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह यादव और पूर्व जिलाध्यक्ष अतहर अंसारी नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इनसब के बीच सपा सांसद रुचिवीरा की बेटी स्वाति वीरा भी अपनी सियासी पारी शुरू कर सकती हैं। पार्टी के भीतर इस बात की जोरों से चर्चा है कि सांसद की बेटी नगर विधासनभा सीट से अपनी किस्मत आजमा सकती हैं।

सांसद रुचिवीरा के करीबी नेताओं के मुताबिक कई स्थानीय नेताओं ने रुचि उनकी बेटी को नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाने की मांग की है लेकिन अंदरखाने चर्चा यह भी है कि सपा सांसद अपनी बेटी को मुरादाबाद के बजाय बिजनौर की बढ़ापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़वाना चाहती हैं। बढ़ापुर विधानसभा क्षेत्र मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में ही आता है। सांसद बढ़ापुर क्षेत्र में सबसे अधिक सक्रिय हैं। रुचिवीरा के करीबी नेताओं का कहना है कि अगर उनकी बेटी को बढ़ापुर से टिकट मिलता है सपा की प्रचंड जीत होगी। सांसद रुचिवीरा की बेटी लगातार पूरे इलाके में सक्रिय हैं।

Tags: Akhilesh YadavAzam KhanRuchiveeraSamajwadi PartyUP Assembly Elections 2027UP Elections
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