Bhai Dooj 2025: गुरुवार को भाईदूज के पावन पर्व पर तड़के भोर से ही श्रद्धालु यमुना तट पर स्नान करने पहुंचने लगे। जैसे-जैसे सूरज चढ़ता गया, घाटों पर भीड़ बढ़ती चली गई। यम द्वितीया के अवसर पर भाई और बहन का एक साथ यमुना स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। इस परंपरा को निभाने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों से भाई-बहन की जोड़ियां यहां पहुंचीं।
दोनों ने हाथों में हाथ डालकर यमुना में डुबकी लगाई और भगवान यमराज से यम फांस से मुक्ति तथा दीर्घायु की प्रार्थना की। स्नान के बाद बहनों ने भाइयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की। पूरा यमुना तट “जय यमराज, जय यमुना मैया” के नारों से गूंज उठा।
विधि-विधान से हुई पूजा-अर्चना
स्नान के बाद पुरोहितों ने घाट पर स्थापित यमुना जी और धर्मराज के मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना कराई। बहनों ने भाइयों को तिलक लगाकर आरती उतारी। इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए थे। गोताखोर और लाइफगार्ड यमुना में स्टीमर के साथ लगातार गश्त करते रहे।
नगर निगम द्वारा की गई व्यवस्थाओं का निरीक्षण महापौर विनोद अग्रवाल और नगर आयुक्त जगप्रवेश ने किया। मौके पर सिटी मजिस्ट्रेट राकेश कुमार, डिप्टी कलेक्टर आदेश कुमार, सीओ सिटी आशना चौधरी सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
वृंदावन में भी रही श्रद्धा की लहर
वृंदावन के केशीघाट पर भी सुबह से ही भाई-बहन स्नान के लिए पहुंचे। याज्ञिक आचार्य अवधेश बादल ने बताया कि पुराणों में लिखा है, जो भाई-बहन भाईदूज के दिन यमुना में एक साथ स्नान करते हैं, उन्हें यमराज के बंधन और नर्क से मुक्ति मिलती है।
सुरक्षा के कारण नाविकों ने जताई नाराजगी
पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनज़र नाविकों को श्रद्धालुओं को यमुना में सवारी कराने से मना किया, जिस पर नाविक नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा कि यह साल में एकमात्र ऐसा पर्व है जब उन्हें अच्छी कमाई का मौका मिलता है। पुलिस से कहासुनी के बाद कई नाविक अपनी नावें लेकर वहां से चले गए।
खोया-पाया केंद्र से मिले कई श्रद्धालु
श्री माथुर चतुर्वेद परिषद ने घाट पर खोया-पाया केंद्र लगाया। परिषद के महामंत्री राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि इस केंद्र की मदद से करीब 70 से 75 लोग अपने परिजनों से मिल पाए। परिषद के कई सदस्य और युवा समिति के कार्यकर्ता इस सेवा में सक्रिय रहे।
यमराज और यमुना का एकमात्र मंदिर
मथुरा के विश्राम घाट स्थित श्री यमुनाजी-धर्मराज मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां यमराज और उनकी बहन यमुना की एक साथ पूजा होती है। यहां मां यमुना चतुर्भुज रूप में विराजमान हैं और यमराज आशीर्वाद मुद्रा में। साथ ही धर्मराज के लेखक चित्रगुप्त की प्रतिमा भी स्थापित है।
मंदिर की सेवायत रंजना चतुर्वेदी बताती हैं कि भाईदूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे। बहन ने उनका आदर-सत्कार कर 56 भोग का प्रसाद खिलाया। प्रसन्न होकर यमराज ने आशीर्वाद दिया कि जो भाई इस दिन यमुना स्नान कर अपनी बहन के घर भोजन करेगा और यमराज-यमुना की पूजा करेगा, उसे कभी अकाल मृत्यु का भय नहीं रहेगा।



