आज का दिन भरात के लिए ऐतिहासिक दिन है। आज चंद्रयान की सतह पर अपना पहला कदम रखेगा। बता दें कि चंद्रमा की सतह पर लैंड करते ही भारत चांद के साउथ पोल पर पहुंचने वाला पहला देश बन जाएगा। इसरो के इस महात्वकांक्षी मिशन से पूरे देश की उम्मीदें जुड़ी हैं। चंद्रयान -3 ने सारे देश को एक कर दिया है। मंदिरों में प्रार्थना हो रही है। मस्जिदों में दुआ मांगी जा रही है। सारा देश चंद्रयान -3 को लेकर उत्साहित हैं।
बता दें कि चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए अब उल्टी गिनती शुरू हो गई है। आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रयान-3 का विक्रम रोवर का प्रज्ञान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा। अगर सफलता लैंडिंग होती है तो भारत का डंका पूरी दुनिया में बजेगा। चंद्रयान की सफल लैंडिंग कई मायनों में खास है क्योंकि दक्षिणी ध्रुव में ऐसे कई खास रहस्य छुपे हुए हैं जिसकी जिज्ञासा हर किसी के मन में हैं।
आईए जानते हैं क्या होती है सॉफ्ट लेंडिंग
सॉफ्ट लैंडिंद वह जगह है जहां अंतरिक्ष यान नियंत्रित तरीके से नीचे उतरता है। इसके बाद यान की गति धीरे-धीरे कम हो जाती गै और अंतरिक्ष यान लगभग 0 गति से सतह को छूता है। इसके विपरीत हार्ड लैंडिंग एक क्रैश लैंडिंग है, जहां अंतरिक्ष यान सतह से टकराते ही नष्ट हो जाता है।
गौरतलब हो कि चार साल पहले चंद्रयान 2सॉफ्ट लैंडिंग के दौरान फेल हो गया था, लेकिन इस बार इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने आश्वासन दिया कि भले ही सब कुछ विफल हो जाए, लेकिन सॉफ्ट लैंडिंग होगी। 30 किमी की ऊंचाई से 1.68 किमी प्रति घंटे की गति से उतरना शुरू होगा, जब तक चंद्रयान 3 चंद्रमा की सतह पर पहुंचेगा, गति लगभग 0 तक कम हो जाएगी। आज का टचडाउन सबसे महात्वपूर्ण हिस्सा है। चंद्रयान 3 क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा की ओर मुड़ेगा। बता दें कि पिछली बार यहीं पर चंद्रयान 2 को समस्या का सामना करना पड़ा था।
सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद क्या होगा?
चंद्रयान की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बार रोवर और लैंडर चंद्रमा की सतह पर उतरेंगे। फिर रोवर चंद्रमा की सतह का विश्लेषण करेगा। लैंडर और रोवर एक चंद्र दिवस तक जीवित रहेंगे जो पृथ्वी पर 14 दिनों के बराबर है। वे वहां के परिवेश का अध्ययन करेंगे। 14 दिन बाद क्या होगा ये अभी तक पता नहीं है। वे एक और चंद्र दिवस तक जीवित हो सकते हैँ। इसरो अधिकारियों ने अभी तक इस संभावना से इंकार नहीं किया है।
वहीं एक चंद्र दिवस वह समय होता है जब सूर्य चंद्रमा पर चमकता है। जब तक सूरज चमकता रहेगा सभी प्रणालिया ठीक काम करेंगी। जब सूर्य चंद्रमा पर डूबेगा तो अंधेरा हो जाएगा और तापमान शून्य से 180 डिग्री तक नीचे चला जाएगा, जिससे अंतरिक्ष यान के जीवित रहने की संभावना कम हो जाएगी। लेकिन अगर यह जीवित रहा तो यह इसरो की एक और उपलब्धि होगी।
वैज्ञानिकों ने तैयार कर रखा है बैकअप प्लान
इसरो चीफ का कहना है कि चार साल एक छोटा समय नहीं है। हमने उसका हर हिस्सा अपने मिश्न को बेहतर बनाने और बैकअप प्लान तैयार करने में लगाया है। उन्होंने कहा है कि हमने बैकअप प्लान का भी बैकअप तैयार है। इस मिशन में अब तक सब कुछ हामरी योजना के अनुसार ही हुआ है। हमने सिस्टम का कई स्तर पर सत्यापन कर लैंडिंग की तैयारी कर ली है और लैंडर की सेहत बिल्कुल ठीक है।