वो 17 मिनट जो थाम देगा देशभर की सांसे, बढ़ा देगा सबकी धड़कने, 17 मिनट का यह समय बेहद अहम है। बता दें 23 अगस्त शाम 6 बजकर चार मिनट पर विक्रम लैंडर चांद की सतह पर उतरने वाला है। हालांकि इसकी प्रक्रिया करीब 5 बजेकर 47 मिनट से ही शुरू हो जाएगी। करीब 17 मिनट का यह यमय गम सबके लिए बहुत कठिन होने वाला है। दरअसल चांद की सतह पर बड़ी संख्या में गड्ढे और चट्टानें परेशानी की वजह बनते हैं हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि अब तक सभी चरणों में जिस तरह से कामयाबी मिली है उससे आगे किसी मुश्किल की संभावना बेहद कम है लेकिन हमें अंतिम समय तक सांस थाम कर रखना होगा। बता दें कि पृथ्वी से चंद्रमा तक सफर तय करने वाले चंद्रयान-3 अब लैंडिंग के लिए अपनी गति से आगे बढ़ रहा है। बुधवार की शाम 6:04 बजे सॉफ्ट लैंडिंग होने की उम्मीद है।
30 किमी की ऊंचाई से लैंड करने का प्रयास करेगा लैंडर
वहीं इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने एक इंटर्वयू में बात करते हुए उन 17 मिनटों के महत्व का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को लैंडर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से उतरने का प्रयास करेगा। इसकी अनुमानित गति लगभग 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी, जो एक बेहतरीन गति मानी जाती है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल लैंडर को अपनी ओर खींच लेगा। द्रयान 3 के साथ भी ऐसा है, इस दौरान लैंडर चांद के ऑर्बिट से निकलकर सतह पर लैंडिंग करने की कोशिश करेगा।
इन अंतिम 17 मिनट में लैंडर खुद से ही काम करता है। इस प्रक्रिया में इसरो से कोई भी कमांड नहीं दिया जा सकता है। इस दौरान विक्रम लैंडर को सही समय, ऊंचाई और सही मात्रा में ईंधन का इस्तेमाल कर लैंडिंग करनी होती है। यही कारण है कि इस समय को 17 Minutes of Terror कहा जाता है।
दो इंजन कर दिए जाएंगे बंद
वहीं देसाई ने कहा है कि हमें थ्रस्टर इंजन को फिर से तैयार करना होगा, ताकि सॉफ्ट लैंडिंग करते समय लैंडर की गति शून्य हो जाए। हमने लैंडर मॉड्यूल में चार थ्रस्टर इंजन लगाए हैं। 30 किलोमिटर की ऊंचाई से, लैंडर 7.5 किलोमिटर और फिर 6.8 किलोमीटर तक नीचे आएगा। फिर हम चार में से दो इंजन बंद कर देंगे और बाकी इंजनों का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए किया जाएगा। हम इंजन का रिवर्स थ्रस्ट लगाएंगे। 30 किलोमीटर से, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति चार गुना कम होकर 350 मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी।
लैंडिंग के बाद रोवर निकलेगा बाहर
बता दें कि लैंडर की सफल लैंडिंग के ठीक 2 घंटे बाद प्रज्ञान रोवर इससे बाहर निकलेगा। लैंडिंग के दौरान बड़ी मात्रा में उड़ने वाली धूल के कारण सेंसर भ्रमित हो सकता हैं, इसलिए प्रज्ञान रोवर 2 घंटे बाद विक्रम लैंडर से बाहर निकलेगा। रोवर इसके बाद सतह से चांद की खास जानकारी जुटाएगा।