Gyanvapi Masjid Verdict: वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी केस में अदालत ने सोमवार को अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने यह माना कि श्रृंगार गौरी की पूजा-अर्चना की मांग को लेकर दायर की गई याचिका सुनवाई योग्य है। जिसमें कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की अर्जी को खारिज कर दिया है। वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ज्ञानवापी मुद्दे पर वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट कर लिखा कि, “करवट लेती मथुरा, काशी!” और कहा कि सभी लोग न्यायालय के फैसले का सम्मान करें। सभी पक्ष शांति भी बनाए रखें। कहा, जो होगा विधि सम्मत होगा। कहीं भी विवाद उत्पन्न करने की कोशिश न की जाए।
अब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का ट्वीट बहुत कुछ इशारा कर रहा है, क्योंकि मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि का मामला भी कोर्ट में विचाराधीन है। श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले की भी कोर्ट में सुनवाई चल रही है। वहीं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा था कि कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश में खुशी की लहर है।
बता दें कि वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम के लिहाज से वर्जित नहीं है। लिहाजा वह इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।
दूसरी ओर वाराणसी जिला अदालत के फैसले पर ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने सोमवार को कहा कि मस्जिद का प्रबंधन देखने वाली इंतजामिया कमेटी को हाई कोर्ट में इस फैसले को तुरंत चुनौती देनी चाहिए। ओवैसी ने कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के आधुनिकीकरण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इसका उद्घाटन किया तो उस समय काशी मंदिर के प्लाट नंबर 93, 94 को दूसरे प्लाट से बदला गया। प्लाटों की यह अदला-बदली मालिकों के बीच हुई।
ओवैसी ने कहा कि वक्फ बोर्ड के 1942 के गजट में इसे मस्जिद और इसे वक्फ की संपत्ति बताया गया। ओवैसी ने कहा, ‘बाबरी मस्जिद पर जब फैसला आया तभी मैंने कहा था कि आगे और दिक्कत होगी। 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट मौजूद है फिर भी इस तरह का फैसला आता है। इस तरह के अदालती फैसलों से देश अस्थिर होगा।’
वहीं, कोर्ट के इस फैसले पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने ट्वीट करते हुए कहा, “बाबा विश्वनाथ जी मां श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में माननीय न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं। सभी लोग फैसले का सम्मान करें”
ओवैसी ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के एक ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा कि क्या यूपी सरकार मुसलमानों की भी सरकार नहीं है? कैसे मंत्री हैं? खुलकर अपनी नफरत को जाहिर कर रहे हैं।
कोर्ट के फैसले के दौरान हिंदू पक्ष के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन कोर्ट में मौजूद थे। हालांकि मुख्य याचिकाकर्ता राखी सिंह कोर्ट में मौजूद नहीं थीं। कुल 62 लोगों को कोर्ट रूम में मौजूद रहने की इजाजत दी गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद के कैंपस में मौजूद श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा की अनुमति देने वाली याचिका पर 24 अगस्त को हिंदू और मुस्लिम पक्ष की बहस पूरी हो गई थी। इसके बाद वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश ने 12 सितंबर यानी आज तक के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया था।
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्य कुमार ने एक ट्वीट में कहा, सत्य की जीत! हिंदू पक्ष द्वारा दायर मुकदमे को विचारणीय घोषित करने वाला वाराणसी की अदालत का फैसला महादेव की कृपा के कारण है! हर हर महादेव. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने आदेश का स्वागत करते हुए कहा, “काशी और मथुरा हमारी सनातन संस्कृति की पहचान हैं. हम अदालत के आदेश का सम्मान करते हैं और सभी से शांति की अपील करते हैं.”
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने एक ट्वीट में कहा, बम बम बोल रहा है काशी. बाबा सबका भला करें. हर हर महादेव।