उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद और अशरफ अहमद को चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। वहीं रिमांड कॉपी से कई बड़े खुलासे हुए हैं.. दरअसल… माफिया का पाकिस्तान से कनेक्शन सामने आया है.. अतीक की मुश्किलें बढ़ती जा रही है.. जहां अतीक और पत्नी शाइस्ता भाई अशरफ ने शूटर्स को क्या-क्या निर्देश दिए थे.. हथियारों को लेकर कई खुलासे इस रिमांड कॉपी में किए गए है।
अतीक का पाकिस्तानी एजेंसी ISI से कनेक्शन?
रिमांड कॉपी के मुताबिक वह पाकिस्तान से हथियार मंगवाता था.. इस कॉपी में बताया गया है कि अतीक हथियारों को पंजाब से मंगवाता था.. इसके साथ ही इसमें जिक्र किया गया है कि अतीक ने खुद कुबूल किया है कि उसके पास हथियारों की कोई कमी नहीं है। कॉपी में ये भी लिखा गया है कि अतीक ने माना है कि उसका पाकिस्तानी एजेंसी ISI व आतंकी संगठन लश्करे तैयबा से कनेक्शन था। अब सवाल ये उठता है कि आखिर कैसे अतीक अपने हथियारों को पाकिस्तान से मंगवाता था..
जानकर हैरानी होगी कि अतीक अपने हथियारों को पाकिस्तान से ड्रोन के जरिये मंगवाता था। ये हथियार पंजाब की सीमा में गिराए जताए थे। उन हथियारों को अतीक खुद ठिकानों तक लाता था। जैसा कि सभी जानते हैं कि अतीक के तगड़े लोकल कनेक्शन थे जिसके जरिए वह हथियारों को एक जगह जमा करता था। इसी तरह से जम्मू कश्मीर में दहशतगर्दों को भी हथियार प्रोवाइड कराए जाते हैं।
रिमांड कॉपी में अशरफ ने क्या कहा…
रिमांड कॉपी में ये तक लिखा गया है कि अतीक का कहना है कि अगर उसे उन ठिकानों पर ले जाया जाए तो वह पैसा, हथियार और कारतूसों को बरामद तक करा सकता है। ये तो थी अतीक की बात अब इस मामले को लेकर रिमांड कॉपी में अशरफ ने क्या कहा है बताते हैं आपको..
वहीं रिमांड कॉपी में अशरफ अहमद ने अपने बयान में कहा है कि असलहे और कारतूस जिस जगह पर रखे गए हैं.. उस जगह के बारे में बताना मुमकिन नहीं है, कुछ जगहों के बारे में मैं जानता हूं और कुछ के बारे में भाईजान अतीक जानते हैं। लेकिन वो जगह बिल्कुल वैसे हैं.. जैसे खेतों में बने फॉर्म हाउस होते हैं। वहीं जाकर ही बताया जा सकता है कि हथियार कहां रखे हैं.. ऐसे जेल से उन जगहों को बता पाना संभव नहीं है।
45 बोर की पिस्टल…
इसके साथ ही अशरफ ने बताया कि उमेश पाल हत्याकांड में इस्तेमाल किए गए हथियार वापस उसी जगह पर लौटा दिए गए.. जो नहीं पहुंचाया गया है वो है 45 बोर की पिस्टल.. ऐसा इसलिए क्योंकि घटना के बाद वारदात में शामिल हुए युवकों को शहर छोड़ने की बेहद जल्दी थी।