प्रयागराज : माफिया अतीक अहमद और अशरफ के हत्याकांड के बाद खुलासों का सिलसिला जारी है.. रोज एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं.. पहले सोमवार को वायरल होती है अतीक की चिट्ठी और उसके कुछ देर बाद अब शाइस्ता की चिट्ठी भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है.. लेकिन दोनों की चिट्ठी कई सवाल खड़े करती है.. क्या इन तीनों को पहले से मालूम था.. इस हत्याकांड के बारे में। चाहे गुलाम हो.. असद हो या फिर अशरफ और अतीक।। चारों की हत्या प्रीप्लान तो नहीं थी.. ऐसा इसलिए कह रहे हैं.. क्योंकि इस हत्या की साजिश का जिक्र अतीक भी कर चुका है जो एक लिफाफे में है.. अशरफ भी कर चुका है.. और अब शाइस्ता की चिट्ठी भी करती है..
प्लान थी अतीक की ह्त्या
जब अतीक जेल में था तब उसने कहा भी था.. कि उसकी हत्या होती है तो उसका ये बंद लिफाफा पुलिस तक पहुंच जाएगा..अब देखना होगा कि इन पत्रों को लेकर क्या जांच होती है.. इस चिट्ठी में एक तरफ मंत्री और दो पुलिस अधिकारीयों का जिक्र किया गया है.. अब ये कौन मंत्री हैं और कौन ये पुलिस वाले हैं.. इसका खुलासा भी जल्द ही हो जाएगा। .
दूसरी तरफ अतीक की पत्नी शाइस्ता की चिट्ठी उमेश पाल हत्याकांड के पहले की बताई जा रही है.. क्या उस वक्त ही इस अतीक की मौत तय हो गई थी… लेडी डॉन पहले को अपने पति की ह्त्या की साजिश के बारे में पहले ही पता चल गया था..
जब इन तीनों ये पत्र लिखा था उस वक्त तो सभी को यही लग रहा था कि ये तीनों विक्टिम कार्ड प्ले कर रहे हैं.. लेकिन किसी को क्या पता था.. उन्हें अपनी मौत का एहसास पहले ही हो गया था.. ये चिट्ठी अतीक और अशरफ को मारने वाले हत्यारों का जिक्र करती है.. 40 साल से उमेशपाल का जो दबदबा था अब तो वो मिट्ठी में मिल गया है.. लेकिन कौन हैं माफिया का दुश्मन जल्द ही इसका भी पता चल जाएगा।
सीएम को लिखी चिट्ठी
आगे आपको बताते हैं चिठ्ठी में लिखे एक-एक शब्द के बारे में जो माफिया क्वीन या कहे माफिया लेडी की तरफ से लिखे गए हैं। पहले आपको बता दें, ये चिट्ठी यूपी सीएम आदित्यनाथ योगी के लिए लिखी गई है..
सत्यता ये है कि जबसे बहुजन समाज पार्टी से मुझे प्रयागराज से महापौर का प्रत्याशी घोषित किया गया.. तबसे यहां के एक स्थानीय नेता आपकी सरकार में काबीना मंत्री ने महापौर पद अपने पास रखे रहने के लिए हम लोगों को चुनावों से दूर रखने की साजिश रचना शुरू कर दिया था और उसी साजिश के परिणाम स्वरूप एक ऐसे व्यक्ति की हत्या करवाई गई जिसकी हत्या का आरोप मेरे पति पर लगना अवश्यमभावी था..
आपको अवगत करवाना है कि स्वर्गीय उमेश पाल राजूपाल हत्याकांड में गवाह नहीं थे.. वो अपराध संख्या 270/ 2007 थाना धूमनगंज प्रयागराज में दर्ज करवाए गए अपहरण के मुकदमे के वादी थे जिसमे उनकी गवाही 16 एवं 17 अगस्त 2016 को अदालत में दर्ज हो चुकी है.. मेरे पति या मेरे देवर के पास उनकी हत्या करवाने का कोई मकसद नही था.. ये एक गंभीर राजनीतिक साजिश है.. जिसका पर्दाफाश स्वतंत्र एवम निष्पक्ष जांच से ही संभव है क्योंकि प्रयागराज पुलिस पूरी तरह से आपके मंत्री के दबाव में काम कर रही है एवं मुकदमे में रिमांड के बहाने मेरे पति श्री अतीक अहमद और मेरे देवर अशरफ को क्रमश अहमदाबाद जेल और बरेली जेल से बुलवाकर रास्ते में हत्या करवाने की साजिश कर रही है.. इसमें प्रयागराज के पुलिस कमिश्नर श्री रमित शर्मा एवम आई0जी0 एस0टी0एफ0 श्री अमिताभ यश जो कि श्री अतीक अहमद के विरोधियों से उनकी हत्या की सुपारी बहुत पहले से लिए बैठे हैं आपके द्वारा मिट्टी में मिला देने वाले बयान से इन पुलिस अधिकारियों को मेरे पति और देवर की हत्या की साजिश को अंजाम देने का पूरी तरह से अवसर मिल गया है यदि आपने दखल नही दिया तो मेरे पति और देवर तथा पुत्रों की हत्या हो जायेगी।।
आपको सादर अवगत करवाना है कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने 23 अप्रैल 2019 को मेरे पति श्री अतीक अहमद को गुजरात के ऐसे जेल में रखने का आदेश पारित किया है। जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा हो तबसे मेरे पति के समस्त मुकदमों की कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही हो रही है इस वर्तमान मुकदमा अपराध संख्या 114 / 2023 थाना धूमनगंज प्रयागराज में यदि न्यायिक अभिरक्षा की आवश्यकता है भी तो पूर्व की भांति मेरे पति और देवर तथा पुत्रों का न्यायिक अभिरक्षा वारंट ज़रिए वीडियो कांफ्रेंसिंग बनवाया जा सकता है कई कई साल से जेल में बंद व्यक्ति अपराध से संबंधित कोई सामग्री आला ए कत्ल अथवा अन्य कोई चीज बरामद नही करवा सकता अगर साजिश के विषय में पूछताछ करनी है तो उसे जेल परिसर में भी पूछताछ की जा सकती है।
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