यूपी के बुलंदशहर में लिफ्ट देने के नाम पर लूट की वारदात सामने आई थी। जहां बदमाशों ने एक शख्स से लिफ्ट देकर उससे नकदी लूट ली और व्यक्ति को चलती गाड़ी से फेंककर फरार हो गए। आरोपियों ने अपनी गाड़ी को पुलिस की स्पेशल सेल की बताया था। व्यक्ति ने इसकी शिकायत पुलिस थाने में की। ये घटना 17 नवंबर की है। जिसके चलते देहात थाना क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर चेकिंग कर रही थी। इस दौरन जब एक संदिग्ध वाहन को रोकने की कोशिश की गई तो वे नहीं रुके। जिसके बाद ने पुलिस ने उस गाड़ी का पीछा किया।
चेकिंग अभियान के दौरान बदमाशों से मुठभेड़
इस दौरान कार सवार बदमाशों और पुलिस के बीच मुठभेड़ हुई। जिसमें दो बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया गया है। जबकि एक बदमाश भागने में कामयाब रहा। हालांकि पीछा करते हुए पुलिस ने उसे भी दबोच लिया है। आरोपियों के पास से कार और तमंचे बरामद हुए है। आरोपी राहगीरों को लिफ्ट देने के नाम पर लूटपाट करते थे।
इस बीच सीओ खुर्जा दिलीप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस क्षेत्र के विभिन्न स्थानों पर चेकिंग अभियान चला रही थी। इसी दौरान सूचना मिली कि लिफ्ट देने के नाम पर लोगों के साथ लूटपाट करने वाले बदमाश क्षेत्र में ही घूम रहे हैं। इस कड़ी में पुलिस ने जांच शुरू की और नगला चीती गांव के पास कार सवार संदिग्ध युवकों को रोकने का प्रयास किया गया। तभी युवकों ने अचानक पुलिस पर फायरिंग कर दी।
3 तमंचे, 6 जिंदा कारतूस और कार बरामद
इधर से बचाव में पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। जिसके चलते दो बदमाशों के पैर में गोली लगी। जबकि बदमाश भागने में कामयाब रहा। पुलिस ने दोनों घायल बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों की पहचान संजय मेहरा निवासी त्रिलोकपुरी और केशलवा निवासी तमिलनाडू हाल निवासी त्रिलोकपुरी के रूप में की गई है। वहीं पुलिस ने तीसरे बदमाश का पीछा करते हुए उसे गांव के ही खेतों में पास से पकड़ा लिया। जिसकी पहचान शमशाद निवासी त्रिलोकपुरी के रूप में की गई है। वहीं बदमाशों के पास से तीन तमंचे, छह जिंदा कारतूस के साथ दो खोखा कारतूस और लूट के लिए इस्तेमाल होने वाली कार बरामद हुई है।
ऐसे बनाते थेे लोगों को शिकार
वहीं थाना प्रभारी दिनेश सिंह ने बताया कि तीनों बदमाशों पर बुलंदशहर सहित कई जिलों में लूट की घटना से जुड़े मुकदमे दर्ज हैं। बदमाश अपनी कार में वायरलेस में बोली जाने वाली पुलिस की रिकॉर्डिंग रखते थे। जिसकी आवाज सुनकर लोग इन्हें पुलिसकर्मी समझते थे और आसानी से इनकी कार में बैठ जाते थे। फिर ये तीनों लूट की घटना को अंजाम देते थे।