Delhi Excise Policy: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच एक बार फिर ठन गई है। दिल्ली के उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति (Excise Policy) पर सवाल खड़े करते हुये इसकी जांच की सिफ़ारिश CBI को सौंप दी है। इस बीच सबसे बड़ी बात ये कि इस जांच में आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) पर भी कई सवाल खड़े किये गये हैं।
LG ने क्यों की CBI जांच की सिफ़ारिश
उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्य सचिव की एक रिपोर्ट के जवाब में ये सिफ़ारिश की है। दिल्ली के मुख्य सचिव ने 8 जुलाई, 2022 को यह रिपोर्ट LG को सौंपीं थी, जिसमें कहा गया कि नई आबकारी नीति के तहत शराब लाइसेंसधारियों को पोस्ट टेंडर गलत लाभ पहुंचाने के लिए जानबूझकर GNCTD एक्ट 1991, व्यापार नियमों का लेनदेन (TOBR) 1993, दिल्ली एक्साइज एक्ट2009 और दिल्ली एक्साइज रूल्स 2010 का उल्लंघन किया गया।
मनीष सिसोदिया ने लागू की थी नई आबकारी नीति
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मुख्य रूप से टॉप लेवल के राजनेता के द्वारा ये किया गया है। इतना ही नहीं रिपोर्ट में सीधे आबकारी विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया को भी सवालो के घेरे में रखते हुये कहा गया है कि इसे आबकारी विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया ने ही फाइनल किया। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि निविदाएं दिए जाने के बाद भी शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय सहायता दी गई, इससे राजकोष को भारी नुकसान हुआ। मुख्य सचिव की इस रिपोर्ट को उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री दोनों को भेजा गया है।
नई नीति के लागू होने के बाद क्या है स्थिति
बीजेपी (BJP) ने इस नई नीति पर सवाल उठाते हुये कहा था कि इससे दिल्ली (Delhi) में शराब की दुकानें (Liquor Shop) बढ़ेंगी। इस नीति में पैसे तय करने से लेकर ब्रांड तय के अधिकार ठेकदारों को दिये गये हैं। बीजेपी ने कहा था कि अगर जगह-जगह ठेके खुलेंगे तो इससे घरों में परेशानी बढ़ेगी। बीजेपी ने केजरीवाल (Arvind Kejariwal) सरकार पर आरोप लगाया था कि रेवेन्यू के नाम पर दिल्ली को शराब के नशे में डुबोने की कोशिश कर रही है दिल्ली सरकार। इस नीति के लागू होने के बाद दिल्ली में पहले 250 प्राइवेट शराब की दुकानें (Private Liquor Shop) थी जो नई आबकारी नीति के बाद बढ़कर 850 हो गई।
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