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फ़ुटबॉल के जादूगर Pele का निधन, 82 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, जाने कैसे चाय की दुकान पर काम करने वाला बच्चा बना फ़ुटबॉल का जादूगर - news 1 india

फ़ुटबॉल के जादूगर Pele का निधन, 82 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, जाने कैसे चाय की दुकान पर काम करने वाला बच्चा बना फ़ुटबॉल का जादूगर

नहीं रहे ब्राज़ील के महान फ़ुटबाल खिलाड़ी पेले। पेले का कल गुरुवार को निधन हो गया है। 21 साल लंबे फुटबॉल करियर के दौरान 1363 मुक़ाबलों में उनके नाम 1,281 गोल करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड है। पिछले साल सितम्बर में उनके आंत की सर्जरी हुई थी और एक ट्यूमर निकाला था। उनका इलाज़ साओ पाओलो के आइंस्टीन अस्पताल में चल रहा था। आज हम अपनी इस रिपोर्ट में आपको बताएंगे की कैसे एक चाय की दुकान पर काम करने वाला बच्चा बना Pele, जानिए महान फुटबॉलर की पूरी कहानी….

3 वर्ल्ड कप जीतने वाले दुनिया एकमात्र फुटबॉलर थे Pele

जब भी हम या आप फुटबॉल के खूबसूरत खेल के बारे में बात करते है तो हर किसी के दिमाग में सबसे पहला जो नाम आता है वह महान खिलाड़ी है “पेले”।आपको बताते चलें की थॉमस अल्वा एडिसन के नाम पर रखा गया था पेले का नाम। उनकी जिंदगी बड़े संघर्षो भरी रही है। कैसे एक चाय की दुकान पर काम करने वाला बच्चा बना फ़ुटबॉल का जादूगर। सदी के महान फुटबॉलर पेले ने अपनी जिंदगी में हर एक मुकाम हासिल किया। वो 3 वर्ल्ड कप जीतने वाले दुनिया एकमात्र फुटबॉलर थे। Pele ने अपने करियर में कुल 1279 गोल दागने वाले महान फुटबॉलर दुनिया को फुटबॉल सिखाकर चले गए। 82 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। 1999 में इंटरनेशनल ओलिंपिक कमिटी में उन्हें सदी का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी चुना गया था।पेले के रोमांचक खेल और शानदार गोलों के प्रति लगाव ने उन्हें दुनिया भर में स्टार बना दिया। किंग ऑफ सॉकर के रूप में जाने जाने वाले पेले ने मैदान पर अपने कौशल, मंत्रमुग्ध कर देने वाले मूव्स से लाखों दिलों को छू लिया।

चाय की दुकान से शुरु हुआ सफर..

पेले के नाम से लोकप्रिय एडसन अरांतेस डो नैसिमेंटो का जन्म 23 अक्टूबर 1940 को ब्राजील के ट्रेस कोराकोस में हुआ था। फ्लुमिनेंस फुटबॉलर डोंडिन्हो और सेलेस्टे अरांतेस के बेटे पेले दो भाई-बहनों में बड़े थे। उनका नाम अमेरिकी आविष्कारक थॉमस अल्वा एडिसन के नाम पर रखा गया था। “पेले” नाम उन्हें अपने स्कूली दिनों में मिला।पेले बेहद गरीब परिवार से थे और वह एक चाय की दुकान पर काम करते थे। पेले ने बताया की उन्होंने अपने पिता से फुटबॉल सीखा जो खुद एक फुटबॉलर थे।अपनी आर्थिक हालत अच्छी ना होने से वो फुटबॉल नहीं खरीद सकते थे इसीलिए वो जुराब में अखबार डालकर उससे खेलते थे।

इंडोर फुटबॉल से शुरू हुआ पेले का सफर

पेले का महान बनने का सफर इंडोर फुटबॉल से शुरू हुआ था। वो एक टीम से जुड़े और उनके जुड़ने के बाद उनके एरिया में इंडोर फुटबॉल काफी पॉपुलर भी हुआ। वो अपने क्षेत्र में पहली फुतसल कॉम्पिटीशन जीतने वाली टीम का भी हिस्सा रहे। पेले और उनकी टीम ने पहली चैंपियनशिप जीती थी और यहीं से शुरू हुआ उनका सदी का महान खिलाड़ी बनने का ऐतिहासिक सफर का दौर। पेले 560 मैचों में 541 गोल के साथ खेल में सबसे सफल शीर्ष-डिवीजन स्कोरर हैं। उन्होंने 1363 मैचों में (फ्रेंडली सहित) कुल 1283 गोल किए। बताते चलें की पेले ने जून 1956 में क्लब के साथ अपना पहला पेशेवर अनुबंध किया। जिसके बाद स्थानीय मीडिया में पेले को भविष्य के सुपरस्टार के रूप में प्रचारित किया गया था। उन्होंने 7 सितंबर 1956 को 15 साल की उम्र में कोरिंथियंस सैंटो आंद्रे के खिलाफ अपनी सीनियर टीम की शुरुआत की और मैच के दौरान अपने करियर में पहला गोल करते हुए अपनी टीम की 7-1 की जीत में प्रभावशाली प्रदर्शन किया।

ब्राज़ील की पहचान रहे पेले

पेले के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से लिखा गया है की , “पेले केवल सर्वकालिक महान खिलाड़ी भर नहीं थे। वह उससे भी ज़्यादा थे।”पेशेवर रूप से हस्ताक्षर करने के दस महीने बाद पेले को ब्राजील की राष्ट्रीय टीम में बुलाया गया। पेले का पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 7 जुलाई 1957 को माराकाना में अर्जेंटीना के खिलाफ था, जहां उनकी टीम को 2-1 से हार का सामना करना पड़ा। उस मैच में, उन्होंने 16 साल और नौ महीने की उम्र में ब्राजील के लिए अपना पहला गोल किया और वह अपने देश के लिए सबसे कम उम्र के गोल करने वाले खिलाड़ी बने।इसके बाद अगले 19 सालों तक वे उसी क्लब से खेलते रहे और कुल मिलाकर 643 गोल किए। हालांकि सैंटोस क्लब की ओर हमेशा दावा किया जाता रहा है कि उन्होंने क्लब के लिए एक हज़ार से ज़्यादा गोल किए है। जिसमें प्रदर्शनी मैचों में किए गोल भी शामिल हैं।

कम उम्र में वर्ल्ड कप जीतने युवा फुटबॉलर थे पेले

14 साल की उम्र तक पेले फुतसल खेलते रहे। इसके बाद उन्होंने 15 साल की उम्र में सांतोस क्लब की तरफ से डेब्यू करके फुटबॉल की दुनिया के कदम रखा। बस यही वो ब्रेक था जिसने उनकी पूरी दुनिया बदल दी। इसके एक साल बाद ही पेले की ब्राजील की नेशनल टीम में एंट्री हो गई और एंट्री के सालभर बाद वो वर्ल्ड कप जीतने वाले दुनिया के सबसे युवा फुटबॉलर बन गए। जिसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और उनके सर जीत का ताज के हीरे जड़ते गए।

तीन वर्ल्ड कप जीतने का करिश्मा पेले के नाम

ब्राज़ीली फुटबॉल कंफेडरेशन और सैंटोस का दावा है कि पेले ने 1367 मैचों में 1283 गोल किए जबकि फ़ीफ़ा का दावा है कि पेले ने 1366 मैचों में 1,281 गोल किए। 1962 के वर्ल्ड कप में पेले 21 साल के हो चुके थे। उन्होंने मैक्सिको के ख़िलाफ़ पहले मैच में बेहतरीन गोल दागा। लेकिन अगले मैच में चोटिल होने के बाद उन्हें साइडलाइन पर बैठना पड़ा।लेकिन गरिंचा के बेहतरीन प्रदर्शन के चलते ब्राज़ील ख़िताब को डिफेंड करने में कामयाब रही।1966 में इंग्लैंड में खेले गए वर्ल्ड कप में वे कुछ ख़ास नहीं कर सके लेकिन 1970 में शानदार वापसी करते हुए उन्होंने अपनी टीम को चैंपियन बनाया। इटली के ख़िलाफ़ फ़ाइनल में मिली 4-1 की जीत में पेले ने ब्राज़ील की ओर से पहला गोल दागा था।

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