गदर-2 सिनेमाघरों में आ चुकी है और पहले ही दिन इसे दर्शकों का भरपूर प्यार भी मिल रहा है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये फिल्म असल जिन्दगी के एक शख्स पर बनी है। फर्क सिर्फ इतना है कि फिल्म में नायक का हीरोइज्म दिखाने के लिए प्रेम कहानी कामयाब दिखाई गई जबकि असल जिन्दगी में गदर से पैदा हुई प्रेम कहानी का अंत बेहद ट्रेजडी भरा रहा। ये कहानी एक सैनिक की है जिसका नाम था बूटा सिंह। बूटा सिंह और जैनब की प्रेम कहानी में फिल्मी तड़का लगाकर पेश किया गया फिल्म गदर में। बूटा सिंह जालंधर में पैदा हुए और फिर ब्रिटिश आर्मी का हिस्सा बने। कई युद्धों में ब्रिटेन की ओर से लड़ने के बाद सेना से अलग हो गए। 1947 में जब भारत पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो दंगे की आग दोनों ओर भड़क उठी। इसी दौरान बूटा सिंह की मुलाकात जैनब से हुई, जिसका भीड़ पीछा कर रही थी। बूटा सिंह ने बमुश्किल जैनब की जान बचाई और अपने घर ले गए। ये सारा कुछ बिल्कुल गदर फिल्म में दिखाए गए सीन की तरह ही था। आपने देखा होगा कि किस तरह फिल्म में तारा सिंह के घर के बाहर जमा भीड़ सकीना को रिफ्यूजी कैम्प भेजने के लिए हंगामा कर रही है। ठीक कुछ ऐसा ही उस वक्त भी हुआ था। जब भीड़ को पता चला कि बूटा सिंह के घर में पाकिस्तानी लड़की को पनाह मिली है, हंगामा हो गया।
गदर फिल्म का सीन याद करिए…कुछ वैसा ही उस वक्त हुआ था
पूरी भीड़ बूटा सिंह के घर के सामने जुट गई और जैनब को उनके हवाले करने की मांग करने लगी। बस यहीं से फिल्म और असल जिन्दगी का फर्क पैदा होता है। फिल्म में तारा सिंह सकीना को भीड़ से बचा लेता है जबकि बूटा सिंह के साथ ऐसा नहीं हुआ। भीड़ के आगे मजबूर बूटा सिंह ने जैनब को रिफ्यूजी कैम्प छोड़ दिया। लेकिन इस दौरान बूटा सिंह को जैनब से प्यार हो गया और फिर बूटा सिंह ने रिफ्यूजी कैंप से जैनब को वापस लाकर शादी कर ली। कुछ वक्त बाद पुलिस को जब पता चला कि एक पाकिस्तानी लड़की एक सिख युवक के साथ रह रही है, तो पुलिस के कान खड़े हो गए। फिर क्या था पुलिस जैनब को लेकर रिफ्यूजी कैम्प चली गई। इस दौरान दोनों को एक बेटी भी हुई जिसका नाम तनवीर था। जिस वक्त पुलिस जैनब को अपने साथ ले गई, उस वक्त बूटा सिंह घर पर नहीं थे। घर आने पर देखा तो सिर्फ बेटी थी, जैनब नहीं। परेशान बूटा सिंह ने जैनब को तलाशना शुरु किया लेकिन तब तक जैनब को पाकिस्तान भेज दिया गया था। कुछ साल बाद बूटा सिंह को जैनब की खबर मिली कि वो पाकिस्तान में है। फिर क्या था परेशान बूटा सिंह बिना सोचे समझे जैनब को लाने के लिए बेटी के साथ पाकिस्तान पहुंच गए। लेकिन यहां भी फिल्मी कहानी से उलटा हुआ।
…और फिर प्रेम कहानी मुकम्मल नहीं हुई
फिल्म में सकीना तो तारा सिंह के साथ जाने को तैयार हो गई लेकिन जैनब पर परिवार का दबाव इतना पड़ा कि उसने बूटा सिंह के साथ जाने से इनकार कर दिया। कोर्ट में जैनब ने बूटा सिंह के साथ जाने से इनकार कर दिया। जैनब का इनकार बूटा सिंह से बर्दाश्त नहीं हुआ और पाकिस्तान में ही रेलवे ट्रैक पर बेटी के साथ कूद कर जान दे दी। हालांकि इस कोशिश में उनकी बेटी तनवीर बच गई। बाद में मौके पर पहुंची पुलिस ने बूटा सिंह के शव के पास एक खत बरामद किया जिसमें बूटा ने अपनी आखिरी इच्छा ये जताई थी कि उनका शव जैनब के घर में दफन किया गया हालांकि उनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई। कहते हैं कि बाद में जैनब ने अपनी बेटी को अपना लिया, लेकिन उससे पहले तनवीर का धर्म परिवर्तन करा के सुल्ताना नाम दे दिया गया। खैर ये तो असली कहानी थी लेकिन फिल्मी कहानी इससे गहरे से प्रेरित है और फिल्मी हीरोइज्म दिखाने के लिए इस दुखान्त प्रेम कहानी को सुखान्त किया गया जिसे दर्शकों ने खूब पसन्द भी किया। वैसे बूटा सिंह और जैनब की प्रेम कहानी पर कई फिल्में और भी बनीं है लेकिन गदर को जितना प्यार मिला उतनी कामयाबी और किसी को नहीं मिल पाई।