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Gyanvapi Masjid: विशेष धार्मिक उपासना स्थल काननू को लेकर आज सुनवाई

Gyanvapi Masjid: विशेष धार्मिक उपासना स्थल काननू को लेकर आज सुनवाई, मुस्लिम पक्ष भी जिला जज के सामने रखेगा दलीलें

वाराणसी की श्रृंगार गौरी इन दिनों खासा चर्चा का विषय बनी में बनी हई है..एक विवाद है जो पूजा-पाठ से जुड़ा हुआ है..इस विवाद की जड़े 1990 के दशक से शुरू हुए थी..ये वही वही दौर था जब अयोध्या का राम मंदिर आंदोलन अपने चरम पर था..तबही वाराणसी में भी काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की भी शुरुआत हुई..

‘अयोध्या तो बस झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है’

साल 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विध्वंस की घटना के बाद तो ‘अयोध्या तो बस झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है’ जैसे नारे फिजां में तैरने लगे..ये विवाद तब से अब तक रुकने का नाम नहीं ले रहा..

दरअसल वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित श्रृंगार गौरी  के दर्शन और अन्य विग्रहों को संरक्षित करने के लिए राखी सिंह समेत 5 महिलाओं की याचिका पर जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में आज सुनवाई होगी..इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत विवाद सुनवाई योग्य है या नहीं पर बहस होगी.. 

इस मामले में मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दलीलें दी जाएगी..

मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता देंगे दलींले

इससे पहले भी मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने दलील दी थी कि इस मामले में विशेष धर्म उपासना स्थल विधेयक 1991 यहां लागू होगा, जिसमें आजादी के समय धार्मिक स्थल की जो स्थिति थी, वही रहेगी..

जबकि हिंदू पक्ष की दलील है कि यहां विशेष धार्मिक उपासना स्थल काननू लागू नहीं होगा, क्योंकि यहां आजादी के बाद भी श्रृंगार गौरी की पूजा होती थी..

ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग पर जल चढ़ाने की अनुमति मांगी


जिला जज प्राथमिकता के आधार पर पांच महिला की तरफ से दाखिल वाद की पोषणीयता पर सुनवाई करेंगे फिर अन्य प्रार्थनापत्रों का जांच करेंगे…इसी अदालत में ज्ञानवापी सर्वे की वीडियोग्राफी अदालत की काशी धर्म परिषद ने सावन में ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग पर जल चढ़ाने की अनुमति मांगी है.. इसके साथ ही कहा है कि सावन में काशी विश्वनाथ परिसर में पवित्रता का सिद्धांत लागू किया जाए..

बैठक की अध्यक्षता कर रहे महंत बालक दास ने कहा कि धार्मिक भावनाएं आहत करने और लोक व्यवस्था को भंग करने वालों पर देश भर में मुकदमे दर्ज होने चाहिए। इसके लिए धर्म परिषद ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखेगी..कहा कि उदयपुर और अमरावती की घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं…संत समाज में नाराजगी है…हत्या के लिए उकसाने वालों को भी कड़ी से कड़ी सजा दी जाए..इस दौरान आठ प्रस्ताव पारित किए गए..

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